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________________ जीव और कर्म-विवार। [८५ साधारण सक्षम बनस्पतिकाय ६ भेद हैं। वादर साधारण नित्यर निगोदके भेद-पर्याप्तक, अपर्याप्तक, लब्ध अ० बादर साधारण इतर निगौदके भेद-पर्याप्तक, अपर्याप्तक, लब्ध इस प्रकार साधारण बनस्पतिकायके १२ भेद हैं। प्रत्येक यनस्पनिकायके भेद-प्रतिष्ठिन अप्रतिष्ठित दोनोंके (प्रतिष्ठित और अप्रतिष्ठित) पर्या० अपर्या० ल०६ भेद इसप्रकार बनस्पतिकायके ४२ भेद है। नारकी जीवोंके भेद-पर्याप्तक, अपर्याप्तक। देवके भेदपर्याप्तक १ अपर्याप्तक २। पंचेन्द्रिय तियरभेद-जलचर, नभवर तीनोंके ( गभज ? संमूर्छन ) दो भेद । ____सबके पर्या०, अपर्याप्तक, लब्ध अ० इस प्रकार असंझी पंचे. द्रिय जीवोंके भद १२। - - - ___ भोगभूमि तिर्यम्मेद-जलवर १ स्यलचर २ दोनोंके (भोग. भूमि जलचर और स्थलचर ) के 46 अ० ल६। दो इन्द्रिय जीवोंके मेद-पर्याप्तक अपर्याप्तक २, लब्ध ०३तीन इन्द्रिय जीवोंके मेद-पर्यातक अपर्याप्तक लाचार इन्द्रिय जीवोंके मेद. पर्याप्तक-अपर्याप्तक ल । - मनुष्यके, भेद-भोगभूमि पर्याप्तकअपर्याप्तक । कुभोगमूमि-पर्याप्तक अपर्याप्तक । म्लेक्षखंड-पर्याप्तक अपर्याप्तक । आर्यमांड-पर्याप्तक अपर्याप्तक। आतिकी अपेक्षा भेदपृर्वीकार्य लाख, लाख, तेजकाय ला०, वायुकाय ला, नित्यः निगोद ७ लाख, इतरनिगोद ७ लाख,
SR No.010387
Book TitleJiva aur Karmvichar
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages271
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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