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________________ जो ओर कम विचार । [ 20 का फल अवश्य ही प्राप्त होता है तो शरीर मृत्यु के बाद नष्ट हो जाने पर उस फलको फोन भोगेगा ? यदि भोगने वाला नहीं माना जाय तो कृनकर्मो का फल नहीं प्राप्त होता है ऐसा मानना पढ़ेगा सो युक्ति और भागमसे सिद्ध नहीं होता है । जो कृत- फर्मो का फल प्राप्त नहीं होता है ऐसा ही मान लिया जाय तो ईश्वरका भजन, दान, जप, तप, संयम, दया आदि कर्म क्यों किये जायं ? क्योंकि उनका फल कौन भोगेगा संसारमें एक रोगी, एक दुखी, एक सुखी, एक दीन, एक विडरूपी, एक सुन्दर, एक जन्माध, एक जन्मसे ही कुबड़ा, एक जन्म से विकलाग इत्यादि प्रकारके भेद देखने में आते हैं सो यह किसका फल है ? और उस फलको भोगने वाला कोन है ? वे कर्म किस समय किसने किये हैं ? एक मनुष्यको विना श्रम किये हो षकायक ( अचानक ) अपरंपार धन प्राप्त हो जाता है । एक मनुष्य जंगलमें से लाकर मचानक राज्यपद पर स्थापित कर दिया जाता है । इस प्रकार बिना कारणके यह फल कौन से कर्मसे हुआ ? यदि भाग्यसे माना जाय तो भाग्य जीव माने बिना किसका समझा जाय ? यदि पुरुषार्थसे प्राप्त किया ऐसा माना जाय तो यहां पर अचानक धन प्राप्त करनेमें या राज्यपद प्राप्त करनेमें पुरुषार्थ कुछ भी किया हो ऐसा दीखता नहीं है ? तो बिना पुरुषार्थ के होने वाली अचानक धनकी प्राप्ति या राज्यपद यह पूर्वभवके शुभ कार्योंका फल माने विना सिद्ध नहीं होता है कारण विना
SR No.010387
Book TitleJiva aur Karmvichar
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages271
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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