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२३२] । जीव और कर्म विचार । उश्वास ४४ प्रशस्त विहायोगति ४५ प्रत्येक शरीर ४६. स. सुभग ४८ सुस्वर ४६ शुभ ५० वादर ५१ पर्याप्ति ५२ स्थिर -५३ अस्थिर ५४ आदेय ५५ यशःकीर्ति ५६ अयश वीनि ५७ तीर्थपरत्व ५८ अंच गोत्र ५६ पांच राय ६४.
इस प्रकार ६५ प्रकृति छ गुणस्थानमें बंधरूप है ६५ प्रकतियोंफा चर्म रत्व होता है।
छठे गुणस्थानमें (प्रमत्त गुणस्थान ) प्रत्याख्यान क्रोध मान माया रोभ ये चार प्रकृति अवधक है-प्रत्याख्यान पायका बंध नहीं होता है।
सातवें चप्रमत्त गुण स्थानमें वध होने योग्य प्रकृति- ।
पांच ज्ञानावरण ५ छह दर्शनावरण ११ सातावेदनी १२ चार संचलन यपाय (१६ हास्य १७ रति १८ भय १६ जुगुप्सा २० पुवेद २१ देवायु २२ देवगति २३ पचेन्द्रिय जाति २४ चार शर (वैकियिक आहारक तेजस कार्मण ) २८ क्रियिल आंगोपांग २६ आहारक मांगोपांग ३० निर्माण ३१ समचतुरस्त्र संस्थान ३२ आद्य संहनन ३३ स्पर्श ३४ रस ३५ गंध ३६ वर्ण ३७ देवगति ३८ मगुरुलघु ३६ उद्यात ४० परवात ४१ उश्वास ४२ प्रशस्त रिहा. योगति ४३ प्रत्येक शरीर ४४ ल ४५ सुभग ४६ सुस्वर ४७ शुम ४८ पर्याप्ति ४६ स्थिर ५० आदेय ५१ यशः कीत्ति ५२ तीर्थकरत्व ५३ पांच गय ५६ . ..
इस प्रकार सातव गुणस्थानमें ५६ प्रकृतियोका बंध होता है सातव गुणस्थानमें प्रबंधक कर्म प्रकृति- .