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________________ २०२ ] जीव और क-विचार | प्रतिष्ठा करना, रथोत्सव करना, गजरथ चलाना, मुनियोंको दान देना, वैयावृत्य करना, उपवास करना, जिनेन्द्रपुजनको ग्राम पुण्य करना, तीर्थयात्रा करना, प्रभावना करना, व्रतोंको पालन करना इत्यादि सव वेदनकर्मके ववके कारण है । चेदनी कम दो प्रकार है - साता और असाता चेदनी । साता वेदनी का वध अच्छे कारणों के करनेसे होता है । और असाता वेदनी कर्मका बन्ध बुरे काम ( अनीति और असदाचार ) करनेसे होता है । मोहनी कर्मके कारण - ( दर्शन मोहनी कर्मके बंधके कारण ) देव में अवर्णवाद लगाना । श्वेतांवर दिगंबर और स्थानक चालियों को एकरूप बनानेके लिये देवके रूप में परिवर्तन करना, परिवर्तन करनेके लेख लिखना, मूर्ति (अरहत भगवान ) पूजा चंद करना मिथ्या देवों की प्रशंसा करना ( जैसे पढे लिखे अपनी प्रति ठाके लिये सब देवों की प्रशंसा करते हैं ) रजस्वला स्त्री से मग. वानकी पूजन व अभिषेक करनेका उपदेश देना, शूद्र के हाथसे भगवान की मूर्तिकी अवहेलना करना, भगवान की मूर्तिको तोड़ने का उपदेश देना, ग्लानि करना, मंदिरमें कामसेवन करना सो दर्शन मोहनो कर्मके बंधके कारण है । धर्मका स्वरूप परिवर्तन कर व्यभिचार ( विधवा विवाह ) में धर्म बतलाना जिनधर्म में श्रवणंवाद लगाना, आगमकी मर्यादा का लोप करना | आगमको मिथ्या बतलाना आगम में अवर्णवाद लगाना। गुरु मुनि और आचार्य महाराजको निंदा करना, मुनि
SR No.010387
Book TitleJiva aur Karmvichar
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages271
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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