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१८४] जोव और कम-विचार। दीखता है पुद्गल परमाणुमें ऐसी शक्तिका परिणमन हो जिससे शरीरमें वण उत्पन्न हो।
कृष्णवर्ण नामकर्म-जिस कर्मके उदयसे जीवोंके शरीरमें कृष्णवर्ण उत्पन्न हो वह कृष्णवणं नामकर्म है। जैसे काली भैस काला मनुष्य, काला कौवा आदि।
नीलवर्ण-जिस कर्मके उदयसे शरीरके पुद्गल परमाणुमें नीलवर्ण हो वह नोलवर्ण नामकर्म है। जसे मोरको गर्दनका रंग। इस कर्मके उदयले पुद्गल परमाणु में इस प्रकारके वर्णका परिणमन हो जाता है।
रक्तवर्ण-जिस कर्मके उदयसे जीवों को ऐसा शरीर प्राप्त हो जिसमें पुद्गल परमाणुका रग रक्त (लाल) वर्णका हो। इस कर्मके उदयसे परमाणु लाल रंगका परिणमन करे यह रक नामकर्म है जैसे लाल चिडिया ।
पीतवर्ण-जिस कर्मके उदयसे जीवोंके शरीरका रंग पीत हो। वह पीतवर्ण नाम म है। जैसे पीला सूआ।
श्वेतवणे --जिस कर्मके उदयसे जीवोंके शरीरका रंग श्वेत । (धवल) हो,वह श्वेतवर्ण नामकर्म है। जैसे सफेद बगुला ।
यदि वर्ण न माना जाय । तो वर्णके विना शरीरका ही उदय नहीं हो सक्ता है और शरीरका वणे प्रत्यक्ष दृष्टिगोचर है। इस. लिये वर्णनामकर्मका अमाव किसी प्रकार कह नहीं सके।
आनुपूर्व्य नामकर्म-जिस फर्मके उदयसे जीवोंको विग्रह. गतिमें पूर्वगति (पूर्वभवकी पर्यायके माकारवाला) के आकार