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जीव और कर्म-विचार ।
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कर्मभूमिको सियों, आदिके तीन संहनन नहीं होते हैं इसलिये स्त्रियोंका कर्मके करनेयोग्य ध्यान नहीं होता है इसीलिये स्त्री पर्याय में मोक्ष सर्वथा नहीं होती है ।
स्पर्शनामकर्म-जिस फर्मके उदयसे शरीर में स्पर्श हो वद स्पर्शनाम धर्म है वह आठ प्रकार है ।
१ - जिस कर्मके उदय से गले कपोल शिर-छाती आदि प्रदेश में वर्कशना हो उसको कर्कश स्पर्श कहते हैं ।
२- मृदुल स्पर्श - जिम कर्मके उदयसे मयूरपिच्छ आदिके समान फोमल स्पर्श दो वह मृदुस्पर्श नामकर्म है ।
३- गुरुम्पर्श - जिस फर्मके उदयसे जीवोंको लोह आदि धातु के समान गुरुम्प दो वह गुरुस्पर्श नामकर्म है ।
४ - लघु-पर्श - जिस कर्मक उदयसे जीवोंका अतुल के समान लघुस्पर्श के समान बहुत हलका स्पर्श हो, वह लघु स्पर्श है ।
५- स्निग्धपशं-- जिस वर्ग के उदयसे जोधोंको तिलके समान स्निग्धता लिये स्पर्श हो वह स्निग्धस्पर्श है ।
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६- स्पर्श - जिस फर्मके उदयसे जीवों को पालुकाके समान रूक्षस्पर्श हो वह रुक्ष स्वर्ण है।
७ -- शीत स्पर्श - जिस कर्मके उदयसे जीवको जल के समान शीतस्पर्श हो वह शीतस्पर्श है ।
८ - उष्णस्पर्श--जिस कर्मके उदयसे जीवोंको अग्निके समान उष्णस्पर्श हो वह उष्णस्पर्शनाम है ।
ये आठ प्रकार के स्पश शरीरमें प्राप्त होते है । और इनका