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जीर भोर मयवार।
काना है, किसी मारामारले साये महायतका दोंग नहीं करता है किन्तु परिणामों यात्मपल्याणको मावनासे ही महारक्ष पालन करता है। वह मायावर परिणामोंसे किसीका अनिष्ट नहीं करता है, जीवषय नहीं करता है।
संचलन लोभ-जिमके उदयले जीयोंके परिणामों में हरिद्रारंगके समान लगेभकाया । जाग्रत हो वह संचलन लोम फापाय है।
हरिद्राका रंगशेत्र म ल पयंत नहीं रहता है और उसके दूर करने में निशेष प्रयत नहीं करना पड़ता है। इसीप्रकार जिस स्खलन लाभापायके उदयसे जीवोंके परिणामोंमें ऐसा लोम होता है कि जिससे यथारात नारिन नहीं होता है। ____ यद्यपि मागबमको सम्मलन लोभकपाय नष्ट नहीं करता है तथापि महावतके स्वत में मानमीक प्रमाद उत्पन्न करता है। रंग लोम पारका हो नहता है। मोध मान माया यादिसे परिणामों में इननी विकृति नही होती है जितनी कि लोभापायसे विकृति होती है। परिणाम में मूर्ध्वाभाय लोम-कपायके उदयसे ही होता है फिर भी केवल संचलनकपायके उदयमें अतिमंद फपाय हो जाती है।
असाय चारित्रमोहनी कर्म जिस फर्मके उदयसे जीवोंको अनंतानुबन्धी या प्रत्याख्यानानुवन्धी आदि फपायके उदयके समान परिणामोंमें विकृति उत्पन्न न हो, चारित्रको धात करनेवाले भाव नहीं हो किंतु जीवकि परिणामों में पायके समान ही विशेष विशेष शक्ति और भावों