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________________ महात्मा भगवानदीन बाल जैनेन्द्र जैनेन्द्रकुमार के बालकपन पर कुछ लिखना बिल्कुल अधूरा रह जायेगा, अगर उनके माँ-बाप को बिल्कुल प्रकाश में न लाया जाय । मेरा तो यह ख्याल है कि उनको जितना प्रकाश में लाया जायगा, उतना ही जैनेन्द्रकुमार को समभने में आसाना होगी । पर यहाँ तो हम उनका उतना ही परिचय देंगे, जितनी यहाँ जरूरत है । जैनेन्द्रकुमार की माता का जन्म खाते-पीते घराने में हुआ था श्रौर अगर उन दिनों लड़कियों की तालीम या ऊंची तालीम बुरी नजर से न देखी जाती होती, तो वे उस योग्य ज़रूर थीं कि बड़ी आसानी से ऊंची से ऊंची डिग्री पा सकती थीं, क्योंकि घर में साधनों की कमी न थी । यह ठीक है कि उन दिनों लड़कियों को विद्या नहीं दी जाती थी और अपढ़ भी रखा जाता था, पर उन्हें मूर्ख या अज्ञानी कभी नहीं रखा जाता था । घर के काम से वे खूब वाकिफ होती थीं । और अदब- शासन कला बुरी चीज नहीं है, तो यह उन्हें काफी से ज्यादा सिखा दी जाती थी । बारह वर्ष की लड़की भी बेवा होकर, अगर उसे मौका दिया जाय तो बड़ी दूकान संभाल सकती थी, जमींदारी संभाल सकती थी, और अगर वे ग़रीब घराने में पदा हुई हों तो अपने खाने-पहनने का इन्तज़ाम कर सकती थीं। यही वजह थी कि जैनेन्द्र कुमार की माँ को जब जैसा अवसर मिला, उन्होंने उस अवसर पर अपने आपको उसके क़ाबिल साबित कर दिखाया । यों जैनेन्द्रकुमार एक बड़ी योग्य माता की देन हैं । जैनेन्द्रकुमार के पिता अपने हाथ-पांव पर भरोसा करने वाले घराने में पैदा हुए थे । उस घराने के लिहाज से जितनी तालीम मिल सकती थी, उतनी तालीम उन्होंने जरूर पाई | पटवारी का इम्तहान पास थे, पर हाथ-पाँव पर भरोसा करने वाले होने की वजह से पटवारी का काम कभी किया नहीं। हाँ, कुछ दिनों स्टाम्प्सफरोशी जरूर की। पर वह नौकरी नहीं थी । उससे घर का मामूली काम चलता था, पर ज्यादह काम तो उसी से चलता था जो वह अपने हाथ-पांव की मेहनत से कमाते थे । वह अपनी क्लास में हिसाब में सबसे अव्वल थे। कहानी कहते थे तो खड़ा कर देते थे । उनकी कहानी सुनने में ऐसी अच्छी लगती थी जैसी मुंशी अजमेरी की । दोनों की कहानियाँ हमने सुनी हैं । जैनेन्द्रकुमार के पिता को गर ( ६ )
SR No.010371
Book TitleJainendra Vyaktitva aur Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyaprakash Milind
PublisherSurya Prakashan Delhi
Publication Year1963
Total Pages275
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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