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________________ २१२ जैनेन्द्र : व्यक्तित्व और कृतित्व अन्तर्मुखी व्यक्तित्व का सूक्ष्म अध्ययन किया है । नारी-चरित्र का बड़ी निकटता और मार्मिकता से अध्ययन जैनेन्द्र ने किया है। जैनेन्द्र की नारी सुप्रसिद्ध अंग्रेजी उपन्यासकार डैनियल डिफो (Daniel Defor) की मौल फ्लेंडसं (Moll Flanders) जैसी कामुक नहीं, किन्तु उस में रति-दमन की भाव-ग्रंथियाँ हैं । वह अतृप्ति का कल्याणीवाद है, अतृप्ति का सुनीतावाद । जैनेन्द्रवादी नारी की काम-पिपासा अन्तर्द्वन्द्व के मेघों में प्रच्छन्न है। जैनेन्द्र ने कथा-साहित्य की नारी-भावना में एक नया अध्याय जोड़ा है, जिसे मैं "नारी का जैनेन्द्रवाद" कहूँगा । जैनेन्द्र का नारीवाद विशिष्ट अध्ययन का विषय है । साहित्य, दर्शन और मनोविज्ञान के विशिष्ट शोधकों और मर्मज्ञों का ध्यान मैं जैनेन्द्र की नारी-जैनेन्द्र का नारीवाद--की ओर आकृष्ट करना चाहूँगा। जैनेन्द्र परिधिवाद के पोषक नहीं । जैनेन्द्र में परिधि-संकल्प-जीवन और साहित्य का परिधि-संकल्प नहीं है। जैनेन्द्र ने व्यक्ति-सत्ता को स्वीकृत किया है, व्यक्ति-सत्ता को दार्शनिक मान्यता दी है, सप्राण और जीवित मान्यता प्रदान की है । परन्तु उनके कृतित्व-दर्शन और कृतित्व-व्यवहार से यह सिद्ध होता है कि उन्होंने साम्राज्यवाद का पोषण नहीं किया । जैनेन्द्र का व्यक्तितंत्र साम्राज्यवाद नहीं है । पिंड में ब्रह्मांड का दिग्दर्शन करने वाले जैनेन्द्र को जनशक्ति में पावन आस्था है । जनशक्ति तथ्य-सम्पूर्ण स्वराज्य का प्रात्मशक्तिपूर्ण माध्यम है। प्रेमचंद के विपरीत, जैनेन्द्र का मानवतावाद विशेष संवेदनशील नहीं है । जैनेन्द्र का संवेदनावाद तात्त्विक है, तथ्यवादी नहीं; मनुष्यता के बाह्यावरण और इतिवृत्तात्मकता पर आधारित नहीं। प्रेमचंद का संवेदनावाद जिन्दगी के अंगारों को चिमटे से नहीं पकड़ता । जैनेन्द्र ने अपना ध्यान जिन्दगी के अंगारों के उत्ताप की अपेक्षा जिन्दगी के अंगारों की लाली पर ज्यादा रखा है, किन्तु स्वानुभूत जीवन को, स्वानुभूत जीवन की अनुभूतियों को जैनेन्द्र ने विचार-संदर्भ में अभिव्यंजित किया है । जैनेन्द्र की कथा-तात्त्विकता में सूत्र-शैलिता है । उनकी कथातात्त्विकता का दिव्य-गौरव जैनेन्द्र-चिन्तन में है। विचार-साक्षात्कार की मार्मिक सन्निकटता जैनेन्द्र के कथा-संदर्भ में अनुप्राणित हैं। प्रेमचंद एक होरीवादी लेखक थे । भारत का होरीवाद प्रेमचंद में अभिव्यंजित हमा । होरी प्रेमचंद का भारत है । जैनेन्द्र में भारत का होरीवाद नहीं है । जैनेन्द्र का पुरुष पात्र होरी नहीं है, जैनन्द्र की नारी गोदान की धनिया नहीं, वह सुनीता, सुखदा, मृणाल और कल्याणी है । होरी का गोदानवाद भारत का एक पहलू है, इस ओर जैनेन्द्र का ध्यान नहीं गया । इसलिये, हम जैनेन्द्र में होरी-अन्विति अथवा होरी संगति नहीं पाते । होरी-संदर्भ में भारत और भारतवाद को जैनेन्द्र ने नहीं देखा।
SR No.010371
Book TitleJainendra Vyaktitva aur Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyaprakash Milind
PublisherSurya Prakashan Delhi
Publication Year1963
Total Pages275
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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