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अंग्रेजी के 'क्राफ्ट' शब्द के अधिक निकट है, इस बात पर बल दिया है। इस सन्दर्भ में डॉ० नगेन्द्र के विचार उल्लेख करना अत्यधिक समीचीन प्रतीत होता है, डॉ० नगेन्द्र के अनुसार -
_ 'मूलतः इसका प्रयोग उपयोगी कलाओं की निर्माण क्षमता के लिए होता है। किन्तु उपचार से इसका प्रयोग ललित कलाओं के लिए किया जाता है। यहाँ इससे अभिप्राय है -रचना की दक्षता या निपुणता से। किसी भी उत्कृष्ट रचना में भावों का गाम्भीर्य, विचारों की गरिमा एवं शैली का उत्कर्ष तो पाया ही जाता है, किन्तु साथ ही समग्र रूप से उस रचना का मूल्यांकन करते हैं तो इन सब तत्वों को निजी अवस्थिति एवं इनके विकास का अध्ययन भी करते हैं ।10
इन सब बातों का निर्वाह कलाकार की दक्षता पर निर्भर करता है। इसे ही कला का शिल्प कहा जाता है। स्पष्ट है कि शिल्प में रचना-कौशल तथा पूर्णता की ध्वनि है। कला-सृजन में यह महत्वपूर्ण प्रश्न है। शिल्प उसी व्यक्तीकरण का कौशल है। शिल्प के लिए ‘फार्म' का तीसरा प्रयोग किया गया है। डॉ० प्रेम भटनागर ने अपने शोध-प्रबन्ध में रूप", रूपाकार" तथा डॉ० सत्यपाल चुघ ने रूपाकार को ही ‘फार्म' के पर्यायवाची के रूप में प्रयुक्त किया है।
फार्म शब्द में शिल्प जैसी व्यापकता नहीं है और न ही अर्थ वहन करने की शक्ति। फार्म ही विषय का आधार मात्र है। इस शब्द का प्रयोग शिल्प के लिए नहीं किया जा सकता। वस्तुतः ‘फार्म' शिल्प का एक अंग है। 'स्ट्रक्चर' के लिए हिन्दी में संरचना शब्द का प्रयोग किया जाता है। संरचना का सम्बन्ध रचना के गठन पक्ष से है। इस अर्थ में यह शब्द शिल्प के बहुत समीप आ जाता है।
10 डॉ० नगेन्द्र - मानविकी पारिभाषिक कोश, साहित्य खण्ड, पृष्ठ-61-62 11 डॉ० प्रेम भटनागर - हिन्दी उपन्यास -शिल्प : बदलते परिप्रेक्ष्य, पृष्ठ-10 12 वही, पृष्ठ - 11 13 डॉ० सत्यपाल चुघ - प्रेमचन्दोत्तर हिन्दी उपन्यासों की शिल्प-विधि, पृष्ठ - 1
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