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इस सन्दर्भ में श्री ओम प्रकाश शर्मा के विचार द्रष्टव्य है- 'शिल्प का सम्बन्ध कला के सौन्दर्य से है और कला का सौन्दर्य व्यक्त का सौन्दर्य है। इस प्रकार शिल्प व्यक्तीकरण की प्रक्रिया है, अव्यक्त की नहीं । शिल्प के अन्तर्गत वे सभी उपकरण भी आ जाते हैं जो शिल्प- प्रक्रिया के निमित्त बनते हैं। शिल्प में प्रक्रिया, प्रयत्न, आयास, उपकरण, सामग्री तथा इनके फलस्वरूप मिलने वाली उपलब्धि सम्मिलित है । यह अनूभूति की अभिव्यक्ति तथा उसका रूपायन है । इस प्रकार शिल्प अनूभूति को स्थापित करने का प्रयत्न है।
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शिल्प के लिये अंग्रेजी में 'टेकनीक', 'फार्म' तथा 'स्ट्रक्चर' आदि शब्दों का प्रयोग होता है। शिल्प शब्द के लिए कौन शब्द इसका पर्याय है, यह अभी तक पूर्णरूपेण स्पष्ट नहीं हो सका है। विभिन्न विद्वानों ने इस शब्द के लिए अंग्रेजी के अनेक शब्दों को सुझाया है। डॉ० लक्ष्मी नारायण लाल, डॉ० सत्य पाल चुघ' तथा डॉ० प्रेम भटनागर अपने-अपने शोध प्रबन्धों में विधि तथा शिल्प को अंग्रेजी शब्द ‘टेकनीक' का अनुवाद मानकर चले हैं। डॉ० प्रेम भटनागर आगे चलकर शिल्प-विधि को 'फार्म' का पर्याय मान लेते हैं। शिल्प शब्द 'टेकनीक' का पर्यायवाची नहीं हो सकता। 'टेकनीक' में आन्तरिकता तथा पद्धति विशेष का ही अर्थ ध्वनित होता है। साहित्य - कोश में 'टेकनीक' की व्याख्या में क्रिया-पद्धति पर ही विशेष बल दिया गया है। डॉ० नगेन्द्र ने अपने विचारों को इस प्रकार व्यक्त किया है
'किसी भी कला में प्रविधि का तात्पर्य कलात्मक निष्पादन की विधि से होता है, अर्थात् किसी कृति के विविध अवयवों और ब्यौरों को गुम्फित करने की कुशल पद्धति से।" कुछ विद्वानों ने 'शिल्प' शब्द
5 श्री ओम प्रकाश शर्मा - जैनेन्द्र के उपन्यासों का शिल्प, पृष्ठ-11
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डॉ० लक्ष्मी नारायण लाल - हिन्दी कहानियों की शिल्प विधि का विकास, पृष्ठ - 2
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डॉ० सत्यपाल चुघ - प्रेमचन्दोत्तर उपन्यासों की शिल्प विधि, पृष्ठ डॉ० प्रेम भटनागर हिन्दी उपन्यास शिल्प : बदलते परिप्रेक्ष्य, पृष्ठ
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9. डॉ० नगेन्द्र - मानविकी पारिभाषिक कोश, साहित्य खण्ड, पृष्ठ
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