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में आकर यह महानगरों, होटलों, ट्रंक-काल्स, कैड लैक कारों तथा ‘एयर कन्डीशन्ड कोच' का हो जाता है। किसी-किसी उपन्यास, जैसे–'त्यागपत्र' में किसी भी नगर का नामतः उल्लेख नहीं है।
अन्त में मुख्य बात यह है कि इन नगरों का नाम आ जाने से भी वर्णन में कोई अन्तर नहीं पड़ता है, जो वर्णन होता है वह किसी भी नगर का हो सकता है, गली मुहल्लों का वर्णन हो सकता है तथा होटल का वर्णन किसी भी बड़े होटल पर लागू किया जा सकता है।
विभिन्न विचार दर्शन
प्रत्येक युग का वैचारिक और बौद्धिक जीवन कुछ विचारधाराओं से नियन्त्रित होकर चलता है। देश एवं काल की सीमा में युगीन परिस्थितियाँ युगचेतना के निर्माण द्वारा नूतन विचारधाराओं को जन्म देती हैं तथा कुछ विचारधाराएँ पुरानी होने से रूढ़िवादी हो जाती हैं। बौद्धिक व्यक्ति के चिन्तन मनन पर युग चेतना का प्रभाव किसी न किसी रूप में अवश्य पड़ता है, जिससे वह युगधारा में प्रवाहमान विचारधाराओं से असम्पृक्त नहीं रह पाता। व्यक्ति को उस चेतना के प्रति ईमानदार होना भी चाहिए। युग चेतना एक व्यापक केन्द्रीभूत मूल्य है, जिसे युग धर्म का मूल स्वर भी कहा जा सकता है। जैसे युग एक विशाल परिवेश के अन्तराल का परिचायक है, उसी तरह मानव भी विशाल समूह का द्योतक है। युग धर्म से हमारा आशय मानव धर्म से होता है। युग धर्म कभी शाश्वत नहीं हो सकता और न मानवीय धर्म की कोई शाश्वत कसौटी ही होती है। ये दोनों शब्द मानवतावादी विचारधारा के लिए प्रयुक्त होते हैं।
आधुनिक भारत में वैचारिक जगत अनेक प्रकार की विचारधाराओं से आक्रान्त रहा है, जिससे वह आस्था और विश्वास को
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