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आत्मसात करते हुए अतीत की प्रेरक शक्तियों की उछाल में आगे बढता रहा। गाँधीवाद, मानवतावाद, व्यक्तिवाद और समाजवाद इन चारों ने आधुनिक युग के वैचारिक जगत् को प्रभावित किया। गाँधीवादी विचारधारा और मानवतावाद दोनों एक ही हैं। गाँधी जी इस युग के सबसे अधिक प्रभावशाली चिन्तक रहे जिनसे युग, समाज तथा व्यक्ति प्रभावित हुए बिना न रह सका। युग, समाज और व्यक्ति ये तीनों आपस के संघर्ष से नवीन विचारधारा का निर्माण करते हैं। इन्हीं के मध्य मानवतावाद, समाजवाद और व्यक्तिवाद का जन्म होता है। किस युग में किस प्रमुख विचारधारा का जोर रहेगा, यह युगीन परिस्थितियों पर निर्भर करता है। जैनेन्द्र जी के साहित्य से इस सिद्धान्त की पुष्टि होती है। इनके उपन्यासों और कहानियों में विचार-दर्शनों का पूर्ण प्रभाव मिलता है।
मानवतावादी विचार दर्शन-गाँधीवादी विचार दर्शन
आधुनिक युग के जागरणकाल में स्वामी विवेकानन्द ने मानवतावाद का उपदेश दिया था, जिससे संपूर्ण जगत् प्रकाशमान हो उठा था। गाँधी जी मानवतावादी श्रृंखला की श्रेष्ठ कड़ी हैं। गाँधी जी ने मानवतावादी भावधारा को जब अपनाया तो वह सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में अपने प्रमुख नैतिकतावादी दृष्टिकोण के कारण दर्शन के रूप में ग्रहण किया गया। हिन्दी के उपन्यास लेखक गाँधी जी के महान् व्यक्तित्व तथा उनके विचार-दर्शन दोनों से प्रभावित रहे। उनके उपन्यासों में गाँधीवादी चरित्रों का प्रकाशन हुआ है तथा गाँधीवादी दर्शन के आधार पर नवीन नैतिक तथा आदर्श मूल्यों की स्थापना भी हुई। हिन्दी में जैनेन्द्र कुमार इसके लिए विशेष उल्लेखनीय हैं। जैनेन्द्र जी के उपन्यासों पर, विशेषकर 'सुनीता' पर
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