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आलोचना
वीरेन ने आकर कहा, "आप चलते नहीं हैं ?" मैंने कहा, “कहाँ चलना होगा ?"
"कान्फरेन्स में नहीं चलिएगा ?"
यह उसने इस तरह कहा, जैसे पूछता हो, "बाज़ार नहीं चलिएगा ?" वीरेन अच्छा लड़का है । पर अपना पढ़ना उसे याद है । एम० ए० पास कर गया है, और थोड़ी-बहुत अविनय से डरता नहीं है ।
कान्फरेन्स बाज़ार की दुकान नहीं है। इसमें तमाशबीन या ग्राहक की वृत्ति से जाना ठीक जाना नहीं है । लेकिन वीरेन ऐसा ज्ञानी है कि आलोचक बने बगैर उससे रहा नहीं जाता । श्रालोचना का काम सरल नहीं है। पर, वह काम उत्पादक भी नहीं है । मैंने कहा, "वीरेन, भाई आज किस कान्फरेन्स में जाना होगा ?"
वीरेन बोला, "आज अच्छी चीज की कान्फरेन्स है | सोशलिस्ट कान्फरेन्स है । और वहाँ यह बात नहीं है कि सब देसी नागरी बोलने वाले मिलें । यहाँ पढ़े-लिखे लोग भी आयेंगे, जो अँगरेजी में बोलेंगे प्रौर सेन्सर बोलेंगे ।"
मैंने मिर्जई बदलली, सोटा लिया और कहा, "अच्छा भाई, चलो । १५२