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________________ ३५६ जैनधर्म पहाड़ीपर यह सिद्धक्षेत्र है। यहाँसे बलभद्र और यदुवंशी राजाओंने मोक्ष प्राप्त किया था। एलौरा-मनमाड़ जंकशनसे ६० मील एलौरा ग्राम है । यह ग्राम गुफा मन्दिरोंके लिये सर्वत्र प्रसिद्ध है । इससे सटा हुआ एक पहाड़ है । ऊपर दो गुफाएँ हैं, नीचे उतरनेपर सात गुफाएँ और हैं जिनमें हजारों जैन प्रतिमाएँ हैं। कुंथलगिरि-यह क्षेत्र दक्षिण हैदराबाद प्रान्तमें है और वार्सी टाऊन रेलवे स्टेशनसे लगभग २१ मील दूर एक छोटी-सी पहाडीपर स्थित है। यहाँसे श्रीदेशभूषण कुलभूषण मुनि मुक्त हुए हैं। पर्वतपर मुनियोंके चरणमन्दिर सहित १० मन्दिर हैं। माघमासमें पूर्णिमाको प्रतिवर्ष मेंला भरता है । यहाँ गुरुकुल भी है। ___ करकण्डुकी गुफाएँ-शोलापूरसे मोटरके द्वारा कुन्थलगिरि जाते हुए मागमें उस्मानाबाद नामका नगर आता है, जिसका पुराना नाम धाराशिव है। धाराशिवसे कुछ मीलकी दूरीपर 'तेर' नामका स्थान है। तेरके पास पहाड़ी है। उसकी बाजूमें गुफाएँ हैं। प्रधान गुफा बड़ी विशाल है। इसमें पाँच फुटकी पार्श्वनाथ भगवानको काले पाषाणकी पद्मासन मूर्ति विराजमान है। इसके दूसरे कमरेमें एक सप्तफणी नाग सहित पार्श्वनाथकी प्रतिमा है। दो पत्थर और भी हैं जिनपर जैन प्रतिमाएँ खुदी हैं । प्रधान गुफा सहित यहाँ चार गुफाएँ हैं। इन सब गुफाओंमें जो प्रतिमाएँ हैं वे अधिकतः पाश्वनाथ भगवानकी ही हैं, महावीर भगबानकी तो एक भी प्रतिमा नहीं है। इससे इस स्थानके पार्श्वनाथ भगवानके समयमें निर्माण किये जानेकी बातकी पुष्टि होती है। करकण्डुचरितके अनुसार राजा करकण्डुने जो गुफाएँ बनवाई थी, वे ये ही गुफाएँ बतलाई जाती हैं। बीजापुर-मद्रास सदर्न मरहठा रेलवेपर बीजापुर नामका पुराना नगर है । स्टेशनके करीब ही संग्रहालय है । इनमें अनेक जैन मूर्तियाँ रखी हुई हैं । एक मूर्ति करीब तीन हाथ ऊँची पद्मा
SR No.010347
Book TitleJain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year1966
Total Pages411
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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