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________________ विविध ३५७ सन भगवान पारबनाथकी हैं उसपर सं० १२३२ खुदा है। बीजापुरसे करीब दो मोलपर एक मन्दिर है, इसमें श्री पार्श्वनाथ भगवानको सहस्रफणा सहित एक मूर्ति विराजमान है जो दर्शनीय है। बीजापुरसे १७ मीलपर बाबानगर है। वहाँपर एक प्राचीन मान्दिर है, उसमें भगवान पार्श्वनाथकी हरे पाषाणकी १|| हाथ ऊँची पद्मासन मूर्ति विराजमान है । इसका बहुत अतिशय है तथा अनेक दन्तकथाएँ सुनी जाती हैं। बादामीके गुफा मन्दिर - बीजापुर जिलेमें बादामी एक छोटा कसबा है। इसके पासमें दो प्राचीन पहाड़ी किले हैं। दक्षिण पहाड़ीकी बगल में छठी सदीके बने हुए हिन्दुओंके तीन और जैनियोंका एक गुफामन्दिर हैं । जैन गुफा मन्दिरमें अनेक मूर्तियाँ दर्शनीय हैं। यह गुफा मन्दिर बादामीके प्रसिद्ध चालुक्यवंशके राजा पुलकेशीने बनवाया था । बेलगाँव - सदर्न मरहठ्ठा रेलवेपर यह शहर बसा है। शहर से पूर्वकी ओर एक प्राचीन किला है। कहते हैं कि पहले यहाँ १०८ जैन मन्दिर थे । उनको तुड़वाकर बीजापुरके बादशाह के सरदारने यह किला बनवाया था । अब केवल तीन मन्दिर शेष हैं। जिनकी कारीगरी दर्शनीय है । बेलगाँव जिलेमें ही स्तवनिधि नामका क्षेत्र है । यहाँ ५-६ जैन मन्दिर हैं जिनमें सैकड़ों जिन मूर्तियाँ विराजमान हैं । मैसूर प्रान्त हुम्मच पद्मावती - मैसूर स्टेटमें शिमोगा शहर हैं । वहाँसे तीर्थल्ली होकर हुम्मच पद्मावती क्षेत्रको जाते हैं । यहाँ कई मन्दिर हैं जिनमें एक मन्दिर बड़ा विशाल बेशकीमत है । यहाँ पर बड़ी-बड़ी विशाल गुफाएँ और प्रतिमाएँ हैं । वरांग- दक्षिण कनाड़ा जिलेमें यह एक छोटा-सा गाँव है । थोड़ी ही दूरपर प्राकारके अन्दर एक बहुत विशाल मन्दिर हैं । मन्दिर में पाँच वेदियाँ हैं, जिनमें बहुत-सी प्राचीन प्रतिमाएँ
SR No.010347
Book TitleJain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year1966
Total Pages411
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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