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जीवद्रव्य विवेचन
१६७ प्रकाशमय और गर्मी पर्यायसे युक्त बनाते हुए जाते हैं । यह भी संभव है कि जो प्रकाश आदि स्कन्ध विजलीके टार्च आदिमे निकलते है, वे बहुत दूर तक स्वयं चले जाते है, और अन्य गतिशील पुद्गल स्कन्धाको प्रकाश, गर्मी या शब्दरूप पर्याय धारण कराके उन्हें आगे चला देते है । आजके वैज्ञानिकोने तो पेतारका तार और बिना तारके टेलीफोनका भी आविष्कार कर लिया है । जिस तरह हम अमेरिकामे बोरे शन्दीको यहाँ सुन लेते है, उसी तरह अब बोलनेवाले के फोटोको भी सुनते समय देख सकेगे |
पुद्गल के खेल :
यह सब शन्द, आकृति, कान, म, छाया, जन्महार जादिका परिवहन तीव्र गतिशील पुद्गलस्कन्धो द्वारा ही हो रंग दे । परमाणुकी विनाशक शक्ति जार हाइड्रोजन बम महाप्रलयाने हम पुद्गलपरमाणुकी अनन्त शक्तियो का कुछ अन्दाज लगा सकते है |
एक दूसरे के साथ बंधना, गुदमता, स्थूलना, चोकोण, पट्कोण आदि विविध आकृतियाँ, सुहावनी चाँदनी, मगलमय उपाने लाली आदि सभी कुछ पुद्गल स्कन्धोकी पर्याय है । निरन्तर गतिशील और उत्पादव्यय- ध्रौव्यात्मक परिणमनवाले अनन्तानन्त परमाणुओके परस्पर संयोग और विभागसे कुछ नैगिक ओर कुछ प्रायोगिक परिणमन इस विश्वके रंगमञ्चपर प्रतिक्षण हो रहे है । ये सब माया या जविद्या नहीं है, ठोम मत्य है । स्वप्नकी तरह काल्पनिक नही है, किन्तु अपनेमे वास्तविक अस्तित्व रखनेवाले पदार्थ है । विज्ञानने एटममे जिन इलेक्ट्रोन और प्रोटोनको अविराम गतिमे चक्कर लगाते हुए देखा है, वह सूक्ष्म या अतिसूक्ष्म पुद्गल स्कन्धमे बँधे हुए परमाणुओका ही गतिचक्र है । सब अपने-अपने क्रममे जब जेमी कारणमामग्री पा लेते है, वैसा परिणमन करते हुए अपनी अनन्त यात्रा कर रहे है । पुरुषकी