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________________ प्रसङ्ग दस श्री कृष्ण और बलभद्र जो थोड़ीसी ताकत पाकर अकड़ जाते हैं, जो दो पैसे कमाने पर फूलकर ढोल बन जाते हैं और दो चार बेटे - पोते होने पर जिनकी आंखें जमीन पर नहीं टिकतीं, उन सज्जनोंको कृष्ण महाराजा जीवन श्रवश्य पढ़ना चाहिए। जिनके जन्म समय कोई - गीव गानेवाला नहीं था और मध्य- समय सहस्रों नरेश एवं देवता हाजिर रहते थे तथा अन्तममय कोई रोनेवाला भी पास नहीं रहा । जैन इतिहासानुसार लगभग ८७ हजार वर्ष पूर्व कृष्णका जन्म मथुरा पुरीमें मात्र कृष्ण अष्टमीकी रातको हुआ था । एक दिन राजा महारानी जीवयशाने श्रतिमुक्त मुनिका हास्य क्रिया, तब मुनिने क्रुद्ध होकर कहा-इस देवी (जो तेरी ननन्द है) का सातवा गर्म तेरे पतिको जानसे मारेगा। रानीने घबड़ाकर सारा हाल कंसको सुनाया और उसने छल करके देवजी देवकीके सारे पुत्र मांग लिए एव बहिन-बहनोईको मथुरा में ही रस लिया । पुन होते गए और कंस उन्हें मारता गया । कृष्णका जन्म ऐसे छः पुत्र तो मर चुके श्रव श्री कृष्णका जन्मसमय श्राया कंसकेर हुए आरक्षक चारों तरफ सजगता से चौकी लगाने लगे, किन्तु मानवश नक्की नींद था गई। जन्म होते ही
SR No.010340
Book TitleJain Jivan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanrajmuni
PublisherChunnilal Bhomraj Bothra
Publication Year1962
Total Pages117
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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