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________________ चतुर्य भाग। ७। सुपार्श्वनाय। देत सुपास सुपास, पंचग्रीवकतें आये । सुपरतिष्ठ भूपाल, पृथी सैना मन भाये ॥ नगर वनारसि धाम, स्वाम खगासन राजै। चिन्न सांथिया वीस, लाख पूरव थिति छाजै ॥ तन हरितवरन दो सै धनुप, सुर ढारें चौंसठ चमर। ' शिर नाय नमों जुग जोरिकरि भोजिनद भवताप हर ॥ ७ ॥ नाम-सुपार्श्वनाथ तीर्थकर । जन्म स्थान-बनारस । पितासुप्रतिष्ठित । माता-पृथ्वी सेना। आयु-वीस लाख पूर्व। शरीरं की ऊंचाई-दो सौ धनुप । चरणचिन्ह-सांथिया । पूर्व जन्म स्थान-पांचवां ग्रेवेयक । शरीरका वर्ण हरा । खगासनसे मुक्ति गमन ॥७॥ ८। चंद्रप्रमतीर्थकर। चंदप्रभू प्रभचंद, चंदपुर चंद चिन्नगन । महा सेन विख्यात, मात लछमना स्वेत तन । वैजयंततै आय काय, खर्गासन धारी। आव पुन्ध दश लाख, भये सबको सुखकारी ॥ डेढ़ सै धनुष तन भविक जन, हंसपाय तुम मानसर । सिरनाय नौं जुग जोरिकर, भो जिनंद भवताप हर ॥ नाम-चंद्रप्रभ तीर्थकर । पिता-महासेन । माता-लछमना । चरनचिन्ह-चंद्रमा ! जन्म नगरी-चंद्रपुरी । शरीरका रंग सफेद । पूर्व जन्म स्थान-वैजयंत विमान । आयु-दश लाख पूर्व । शरीर की ऊंचाई-डेढ सौ धनुष । खर्गासनसे-मुक्ति गमन ॥ ८॥
SR No.010334
Book TitleJain Bal Bodhak 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
PublisherBharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publication Year
Total Pages375
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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