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जैनवालवोधकइसलिये दीक्षा लेते ही थोड़े दिन बाद केवलज्ञान प्राप्त हो गया
और हजारों वर्ष तक सर्वज्ञावस्थामें संसारको उपदेश देकर मोक्ष पधारे।
२२. जीवके गुण (१)
१। सम्यक्त्व, चारित्र, सुख, वीर्य, भव्यत्व, जीवत्व, वैभा. विक, कर्तृत्व, भोक्तृत्व वगेरह जीवके अनुजीवी गुण अनंत ।
२१व्यानाध, अवगाह, अगुरुलघु, सूक्ष्म, नास्तित्व आदि अनेक जीवके प्रतिजीवी गुण है।
३। जिसमें पदार्थोंका प्रतिभास (जानना ) हो उसे चेतना कहते हैं।
४। चेतना दो प्रकारकी है एक दर्शनचेतना, दूसरी ज्ञानचेतना।
५।जिसमें महासत्ताका (सामान्यज्ञा) प्रतिभास (निराकार झलक ) हो उसे दर्शनचेतना कहते हैं।
६। समस्त पदार्थोके अस्तित्व गुणके ग्रहण करनेवाली सत्ताको महासत्ता कहते हैं।
७। अंवातर सत्ताविशिष्ट विशेप पदार्थको विषय करनेवाली चेतनाको ज्ञानचेतना कहते हैं।
८। किसी विवक्षित पदार्थकी सत्ताको अवांतर सत्ता कहते हैं।