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जैनवालवोधक१३. निक्षेप।
- १ युक्तिद्वारा सुयुक्त मार्ग होते हुये कार्यवशतः नाम स्थापना द्रव्य और भावमें पदार्यका न्यास (स्थापन) करना सो निक्षेप है। नितेप चार प्रकारके हैं-नामनिक्षेप, स्थापनानिक्षप, द्रव्यनिक्षेप और भावनिक्षेप।
२।गुण जाति द्रव्य क्रियाको अपेक्षा विनाही अपनी इच्छानुसार लोकव्यवहारके लिये किसी पदार्थकी संज्ञा करनेको नाम निक्षेप कहते हैं। जैसे,किसीने अपने लड़के का नाम हाथी सिंह रख लिया। परंतु उसमें हाथी और सिंहके समान गुण जाति द्रव्य क्रिया कुछ भी नहीं है। ___३। धातु काष्ठ पाषाण आदि साकार वा निराकार पदार्थमें 'वह यह है' इसप्रकार अवधान करके निवेश (स्थापन ) करने को स्थापना निक्षेप कहते हैं। जैसे, पार्श्वनाथ भगवानकी प्रतिमाको पार्श्वनाथ कहना अथवा सतरंजके मोहरोंको हाथी घोड़ा, वजीर, वादशाह वगेरह कहना । नामनिक्षेपमें भूल पदार्थ
की तरह पूज्य अपूज्य बुद्धि नहीं होती, स्थापना निक्षेपमें होती . है । जैसैं,-किसीने अपनेलड़केका नाम पार्श्वनाथ रख लिया
तौ उस लड़केका सत्कार पार्श्वनाथकी तरह नहीं होता परन्तु पार्श्वनाथकी धातुपाषाणमयी प्रतिमा पार्श्वनाथ भगवानकास सत्कार होता है।
४। जो भूत भविष्यतकी पर्यायकी अपेक्षा वा मुख्यतालेकर वर्तमानमें कहना सो द्रव्यनिक्षेप है। जैसे,—राजाके पुत्रको
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