________________
चतुर्थ भाग। चक्षु और श्रोत्र।
२५ जिसके द्वारा आठ प्रकारके स्पीका धान हो, उसे स्पर्शन इन्द्रिय कहते हैं। ___ २६ । जिसके द्वारा पांच प्रकारके रसका (स्वादका ) हान हो, उसे रसनेंद्रिय कहते हैं। ___ २७ । जिसके द्वारा दो प्रकारको गंधका (सुगंध दुर्गधका ) शान हो, उसको ब्राणद्रिय कहते हैं।
२८ जिसके द्वारा पांच प्रकारके वर्णका शान हो, उसको चक्षुरिद्रिय कहते हैं।
२६ जिसके द्वारा सात प्रकारके स्वरोंका भान हो, उसे. धोत्रंद्रिय कहते हैं।
३०। पृथिवी, अप, तेज, वायु, और वनस्पति इन जीवोंके एक स्पर्शन इंद्रिय ही होती है। कृमि आदि जीवोंके स्पर्शन और रसना दो इन्द्रियां होती है। पिपीलिका (चिवटी ) वगेरह जीवों के स्पर्शन, रसना, और प्राण ये तीन इन्द्रियां होती हैं । भ्रमर मतिका वगेरहके श्रोत्रके विना चार इन्द्रियां होती हैं। घोड़े प्रादि पशु, मनुष्य देव और नारकी जीवोंके पांचों इन्द्रियां होती है।
३१ । स स्थावर नाम कर्मके उदयसे प्रारमाके प्रदेश प्रचय, को काय कहते हैं।
३२ । स नामा नामकर्मके उदयसे द्वींद्रिय श्रींद्रिय, चतुः रिद्रिय और पंचेंद्रियों में जन्म लेनेवाले जीवोंको उस कहते हैं।
३३१.स्थावर नामकर्मके उदयसे पृथिवी, अप, तेज, घायुः