________________
३५८
बालबोधक
उन उर्दिकी ऐसी प्रतिज्ञा सुन दिवाकर देव आदि विद्यारों का कि आप लोग समर्थ हैं
का
विद्यावर
भले प्रकार करा देनी चाहिये इतना सुनते ही चल दिये और उदासी (इन्द्र पानी ) का य मंग कर बड़े समारोहले उर्मिला निकलवाया। इप्रकारक विनयको देकर राजा पट्टरानी व अन्य जन हे चकित हुये और मन जिनको बार कर दिया !
इसलिये सबको चाहिये कि वज्रकुमार मुनिकी तरह की भावना करें जिससे दूसरों पर इस स धर्मका असर पडे और उसका माहात्म्य प्रकाशित हो, तया दूसरोंका व अपना कल्याण हो सके ।
38993 EC6ce
४३. श्रावकाचार पंचम भाग |
3999 Ecce
पांच अलका स्वर !
हिंसा विध्या चौरी मैथुन और परिग्रह जो हैं यार ! स्यूत रूपसे इन्हें छोडना, कहा अत्रत प्रभुते आप || निरविचार इनको पालनकर पाते हैं मानव सुर तोक । वहां पुण अवविज्ञान त्यों, दिव्यदे मिलते हरशोक ॥
इसका अर्य स्यष्ट है इसलिये न लिखा ।
१।