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जैनबालबोधकराट लगा सो अवश्य ही अनेक परमाणुओं का समूह है। इसी प्रकार सुगंधमय पदार्थके जद प्रणु हवाके साथ मिल. कर हमारी नासिकामें प्रवेश करते हैं तो हमें सुगन्ध मालूम होती है । जैसे एक रत्ती कस्तूरीकी सुगन्धसे बहुत वडा घर २० वर्ष तक सुगंधित रह सकता है, फिर कस्तुरीको देखो तो उतनीकी उतनी ही पड़ी रहेगी । यदि उस कस्तुरी से निरंतर सुगंधमय असंख्य परमाणु नहिं निकलते तो किस प्रकार वह घर सुगंधित रह सकता है ? भर विचार करो कि वे परमाणु एक रची कस्तुरीमेंसे २० वर्षे तक दरावर निकलते रहे तो कितने सूक्ष्म होंगे । इसकारण परमाणु कितना छोटा है यह निर्णय करनेमें नहि आ सकता परन्तु हमारे जैन ग्रन्थों में पूर्वाचार्याने निश्चय किया है कि वह परमाणु पट्कोण रूपी है। पदार्थ विद्या पहनेसे परमाणुओंके अनेक प्रकारके समाव व शक्तियें मालूम होती हैं और परमाणुओंके गुण व शक्तियें मालुम होनेसे सृष्टिकी रचना कैसे अपने श्राप अनादि कालसे होती विनशती आई है सो सब मालूम हो जाता है अत एव पदार्थ विद्याका अध्ययन भी करना परमावश्यकीय है ।