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जैन-अगशास्त्र के अनुसार मानव-व्यक्तित्व का विकास उन्होने जैनधर्म को स्थायी करने के लिए अनेक ग्रन्थो की रचना की । हेमचन्द्र कलिकाल सर्वज्ञ माने गए है। वे अद्वितीय प्रतिभासम्पन्न व्यक्ति थे । उनका समय ११२१ ई० है । उन्ही के समय मे राजा कुमारपाल ने जैनधर्म अगीकार किया और उसे गुजरात में राजधर्म का पद प्राप्त कराया। तब से जैनधर्म निरतर ह्रास पर है।'
१ ला० इन० ए० इडिया, पृ० ३०.