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. चउत्थं अज्झयणं
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अजयं चरमाणो उ पाणभूयाई हिंसई । बंधई पावयं कम्मं तं से होई कडुयं फलं ।। १ ।। . अजयं चिट्ठमाणो उ पाणभूयाइं हिंसई। बंधई पावयं कम्मं तं से होइ कडुयं फलं ।। २ ।। अजयं आसमाणो उ पाणभूयाइं . हिंसई। वंधई पावयं कम्मं तं से होइ कडुयं फलं ॥ ३ ॥ अजयं सयमाणो उ पाणभूयाइं हिंसइ । बंधई पावयं कम्मं तं से होइ कडुयं फलं ॥ ४ ॥ अजयं भुजमाणो उ पाणभूयाइं हिंसई । बंधई पावयं कम्मं तं से होइ कडुयं फलं ॥ ५ ॥ अजयं भासमाणो उ पाणभूयाई हिंसई ।। बंधई. पावयं कम्मं तं से होइ कडुयं फलं ।। ६ ।।
कहं चरे ? कहं चिट्ठ ? कहमासे ? कहं सए ? .. कहं भुजन्तो भासन्तो पावं कम्मं न बंधई ? ॥ ७ ॥ .. जयं चरे जयं चि? जयमासे जयं सए । .. जयं भुजन्तो भासन्तो पावं कम्मं न बंधई ।। ८ ।।
सव्वभूयप्पभूयस्स ... सम्मं भूयाइ पासओ।
पिहियासवस्स दंतस्स पावं कम्म न बंधई ॥ ६ ॥ .... पढ़मं नाणं तओ दया एवं चिट्ठइ सव्वसंजए ।
अन्नाणो कि काही ? किं वा नाहिइ छेय पावगं? ॥१०॥ सोच्चा जाणइ कल्लाणं सोच्चा जाणइ पावगं । उभयं पि जाणइ सोच्चा जं. छेयं तं समायरें ॥ ११॥ ।
. . . सन