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स्वागत सहयोग
जैन विद्या की इस संगोष्ठी को सफल बनाने में संस्कृत विभाग के प्राध्यापक बंधुओं तथा छात्रों का पूरा सहयोग रहा है। उदयपुर विश्वविद्यालय के वित्तनियंत्रक श्री अविनाशचन्द्र शर्मा तथा उनके सहयोगियों, डा० दयाकृष्ण मिश्र, निदेशक, विस्तार निदेशालय तथा अन्य विभागों के प्राध्यापकों व छात्रों के सहयोग को भुलाया नहीं जा सकता। जैन विद्या की इस संगोष्ठी की सफलता के वे समभागी हैं। __ संगोष्ठी के आयोजन में दूसरा समभाव स्थानीय जैन समाज के सहयोग का था। इस प्रकार विद्वत्सम्मेलन एवं विशुद्ध शैक्षणिक कार्यक्रम में पहली बार समाज ने पूरी रुचि के साथ भाग लिया तथा अपने दायित्व को पूर्णत: निबाहा। विद्वानों के स्वागत-सत्कार की अधिकांश व्यवस्था स्थानीय जैन समाज ने की। श्री अग्रवाल दि० जैन समाज, श्री जैन मुमुक्षु मंडल, श्री बीसपंथी दि० जैन समाज, श्री श्वे. तेरापंथ समाज, श्री वर्द्धमान स्थानकवासी संघ, श्री श्वे० मूर्तिपूजक जैन समाज तथा भारत जैन महामण्डल आदि के उत्साही कार्यकर्ताओं ने न केवल संगोष्ठी के विद्वानों के जलपान एवं भोजनादि की सुन्दर व्यवस्था की, अपितु संगोष्ठी के शैक्षणिक कार्यक्रमों में भी वे निरंतर उपस्थित रहे । विद्वानों को समाज के बीच ले जाकर उनकी विद्वता एवं अनुभवों से लाभान्वित भी हुए।
१८ : जैन विद्या का सांस्कृतिक अवदान