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जैन तीर्थयात्रादर्शक। [२९ कृप्दास, निनदास, पार्श्वदास, सदासुख, दौलतराम, पन्नालाल, टेकचंद्र, रत्नचंद्र, जयचंद्र, जवाहरलालजी मादि बहुत विद्वान हुए हैं। जिन्होंने जैन धर्मके संस्कृत और प्रारुतके मन्थोंकी भाषा वचनिका की । और कुछ संग्रहरूप ग्रंथ भी रचे हैं। पुना, भजनको भी पोथियां बनाई हैं। इन्होंने जैन धर्मकी बड़ी सेवा की है। इन सजनोंको धन्यवाद है ! यहांकी यात्रा करके यहांसे एक रेलवे ट्रंक होकर सवाई माधोपुर होकर सांगानेर जाती है। सांगा. नेरका हाल ऊपर लिखा गया है वहांसे देखना । सांगानेरका दर्शन अवश्य करें। फिर आगे सवाई माधोपुर जाकर मिल जावें । या लौटकर फिर जयपुर आनाना चाहिये । फिर यहांसे फुलेरा तरफ नावे । फुलेरासे आगे निधर जाना हो उधर नावे । इसका हाल भी ऊपर लिखा है । फिर आगे लिखगे सो देख लेना चाहिये । एक लाइन बांदीकुई होकर जाती है।
(४२) बांदीकुई। यहां शहर अच्छा है। दि जैन मंदिर और मैन घर अच्छे हैं। यहांसे १ रेलवे अचनेरा होकर आगरा फोर्ट जाती है । एक रेवाड़ी देहली जाती है।
(४३) अचनेरा। यहांसे एक रेलवे मथुरा हाथरस होकर कानमुर माती है ।
(४४) आगरा फोर्ट। मागराका हाल भागे लिखा है वहांसे देखना । अब फिर एक रेलवे फुलेरा मंकशन होकर मारवाडकी तरफ जाती है । फुले. से रेल किराया २॥) देकर नगर, कावा, नसावंतगढ़, मुनानगढ़