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जैन तीर्थयात्रादर्शक। माय । इसी गोकुलमें श्री कृष्ण महाराज नवमें नारायण नंदग्बाल तथा यशोदामाताके यहां पाले गये थे। यहांपर जाना हो तो माय । नहीं तो यहांसे सब जगहको गाड़ी जाती है सो पूछकरजहांको जाना हो वहांको जाय । मथुरामें छोटे बड़े ७ स्टेशन हैं।
(११) वृंदावन । वृन्दावन तांगा भी जाता है । किराया वहींपर तय करलें । रेलगाड़ीसे एक आना सवारी लगता है। मथुरासे ४ मील दूर वृन्दावन है। यहांपर सेठ तथा राजाओ द्वारा बनवाये गये बड़े २ कीमती मंदिर देखनेयोग्य हैं । जिसमें मथुरानिवासी सेठ लक्ष्मीचन्द्रनी जैन अग्रवालका बनवाया मंदिर अच्छा है । ग्राम मुन्दर और बड़ा है । यहांपर १ दि. जैन मंदिर और १ घर दि. जेन अग्रवालोंके हैं । यहांकी रचना जरूर देखना चाहिये। वहांसे फिर मथुरा आना चाहिये । मथुरासे गाड़ी चौतरफ जाती है चाहे निघर चला जावे । अब हम अजमेरकी यात्रा हाल शुरू करते है।
(३४) अजमेर । __ यह एक बड़ा अचरजगत प्रसिद्ध (खाना पीर) अममेरके नामसे सर्व मूलक और विलायत तक मशहर है। यहां खाना पीरकी दरगाह बहुत लम्बी चौड़ी करोड़ों रुपयाके लागतकी देखने योग्य है। यहाँपर सब देशोंके अंग्रेज व मुसलमान आते हैं । पर कोई १ हिन्दू लोग भी कुछ बोल चढ़ाने आते हैं ! यहाँपर हरक्क मेला भरा रहता है। माल सब मिलता है । राजबाग, मनासागर तालाप, गढ़, बाजार, सेठ मूलचन्दनीका महल भादि देखनेकी चीमें हैं। स्टेशनसे १ मील ) माना सवारी देकर सेठ साकी