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जैन तीर्थयात्रादर्शक |
(१८) श्री समसागढ़ ( अति० क्षेत्र ) ।
यह एक जीर्ण ग्राम है, यहां एक बहुत प्राचीन जीर्ण मंदिर है, जिसमें तीन प्रतिमाएं चतुर्थकालकी महामनोहर शांत छबि तप वाम विराजमान हैं। यहांपर भगवान पार्श्वनाथका समोशरण आया था | यहांकी यात्रा करके भोपाल लौट आवे फिर भोपाळसे उज्जैन आवे। भोपाल से एक लाईन बीना तरफ, एक उज्जैन, एक चंबई तक जाती है। किसीको आगे जाना हो तो चला जाय, नहीं तो लौटकर उज्जैन ही आना चाहिये । उज्जैनसे किसीको जाना हो तो इन्दौर तरफ चला जावे । इसका हाल आगे लिखा जायगा वहांसे जानना चाहिये | अब उज्जैन से टिकटका || = ) देकर नागदा नाना चाहिये । इषरकी यात्रा पहिले लिखता हूं सो नीचे देखलें । ( १९ ) नागदा जंकशन |
यहांसे १ लाइन रतलाम, गोधरा, चांपानेर होकर बड़ौदरा जा मिलती है । इमका हाल आगे लिखा जायगा । १ लाइन रतलामसे आगे इन्दौर तक जाती है। एक लाईन नागदा से उज्जैन जाती है । १ लाईन सवाई माधोपुर होकर मथुरा जाकर मिलती है । इसका हाल देखें | नागदा से १) रुपया देकर छत्रपुर उतर पड़े । ( २० ) छत्रपुर स्टेशन |
यहांसे |||) सवारी में हरवक्त मोटर या तांगा मिलता है । उसमें बैठकर झालरापाटन जावे ।
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(२१) झालरापाटन ।
यह शहर पुराना है, पहिले बड़ा भारी शहर था। यहां शहरमें एक दि० जैन धर्मशाला, एक सरस्वती भवन और छोटे बड़े