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देवगा।
को ३ मील
पाचीन
जैन तीर्थयावाद।
(१०) देवगढ़।। इस गांवको ३ मील कच्ची रास्ता जाना पड़ता है, यह प्राचीन है। प्रतापगढ़ की राजधानी रही है । रामाका महल बहुत बड़ा है, पहिले यह शहर बड़ा भारी था सो टूट गया है । उसके बदलेमें प्रतापगढ़ शहर वसा है । यहांपर १ प्राचीन दि. जैन मंदिर है। जिसमें कुल ६ वेदियां हैं । महामनोहर प्राचीन कालकी तरह तरहकी प्रतिमाएँ बिराजमान हैं। एक सहस्राट चैत्यालय है, यह चैत्यालय पुराने ढंगका बना है। यहां की यात्रा करके वापिस लौटकर प्रताबगढ़ होकर मन्दसौर आजाना चाहिये । फिर यहांसे आगेका टिकट ||-) देकर रतलामका लेलेना चाहिये । बीचमें झावरा शहर पड़ता है । अगर शहर देखना हो तो उतर पड़मा चाहिये, झावराका हाल ऊपर लिख दिया है।
(११) ग्नलाम (रत्नपुरी)। स्टेशनसे १ मीलकी दूरीपर शहर है, सवारीका किराया ) लगता है। मा०पा०दि नैन बोर्डिग चौक बाजारमें ठहरनेका इंतजाम है, वहांपर ठहर जाना चाहिये। शहरमें ३ मंदिर भारी हैं। जिसमें प्रतिमाएं बहुत हैं। एक मंदिरके बाहर दोनों तरफ दोहस्ती हैं। १ मंदिर शहरसे २ मीलकी दूरीपर है, तांगासे जाकर दर्शन करना चाहिये | बाजार, गजाका महल, फोन पलटन, तोपखाना, दरबार आदि चीजें देखने योग्य हैं। और वामारसे कुछ खरीदना हो तो खरीदकर स्टेशन आजाय, यहांसे उनका रेलमाड़ा १) लमता है। और बीचमें नागदा नंकसन गाड़ी पल्या पाती है। मा रतलम चार लाईन जाती हैं मन सुमसा सार