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जैन तीर्थयात्रादक। स्टेशनसे २ मीलकी दूरीपर दि. जैन मंदिर और धर्मशाला शहरमें है। तांगा आदि सवारी करके वहां भी ठहर सकते हैं । यह शहर अच्छा और प्राचीन है। ५ दि जैन मंदिर और बहुत नियोंके घर हैं । यहांपर जनकुपुरा आदि १२ मुहल्ले हैं । इस ग्रामका नाम पद्मपुराणमें दशांगपुर शहर है । यहांपर राना वजकरण और सीहोदरका झगड़ा हुआ था । रामचंद्र मादि यहाँपर पधारे थे । एक दरिद्र मनुष्यने खबर दी थी, सो यही दशपुर शहर है। यहांसे २० मीलकी दूरीपर पक्की सड़कसे तांगा प्रतापगढ़ जाता है। उसका किराया करीब 1) होता है ।
(८) प्रतापगढ़ शहर । यह शहर भी प्राचीन है, राना सा०का राज्य होनेसे शहर सुन्दर है। कुल ४ दि जैन मंदिर बड़े विशाल हैं, अनेक जगहपर दर्शन हैं। प्रतिमा भी भारी मनोज्ञ शांतमुद्रायुक्त हैं । श्वेताम्बरी १२ मंदिर हैं । दिगम्बरी और श्वेताम्बरी दोनों की मिलकर खासी वम्ती है । सबका आपसमें प्रेमभाव है, धर्मध्यानका ठाटवाट रहता है। शुद्ध सामान नाजा खाने पीने का मिलता है । शहरके आसपास बाग, कुवा, वावड़ी, तालाव आदि बहुत हैं। स्थान रमणीक है यहांका दर्शन करके शांतिनाथ और देवगढ़ (देवरिया) जाना चाहिये।
(९) श्री शांतिनाथ (अतिशयक्षेत्र)। प्रतापगढ़से २ मीलकी दूरीपर कच्ची सड़कसे चलकर जंगलमें श्री शांतिनाथ महारानका बड़ा भारी विशाल मंदिर है और 'एक धर्मशाला है। प्रतिमा बहुत ही मनोज और दर्शनीय पद्मासन है, यहाँसे देवगढ़ नाला चाहिये।