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जैन तीर्थयात्रादर्शक।
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क्षेत्रको रमणीकताकी कथनी बचनागोचर है । यहांका दर्शन करके फिर किसी जानकार भादमीको साथ लेकर चलेश्वर जाना चाहिये।
(५) श्री चूलेश्वरजी (अतिशयक्षेत्र)। यह मतिशयक्षेत्र है। यह ग्राम वाड़ देशके सहपुरा निलामें है। और यहांसे ३ मील अमरगढ़, वागीदौरासे ४ मील मूलेश्वर है अमरगढ़ और बागीदौरामें एक २ जैन मंदिर तथा कुछ घर जैनियों के हैं। यहां एक पहाड़के ऊपर बहुत प्राचीन मंदिर और एक धर्मशाला है। प्राचीन कालकी श्री पार्श्वनाथ स्वामीकी मूर्ति विराजमान है । पहिले पुराने मंदिरमें पहाड़की तलेटी पर यह प्रतिमा विराजमान थी, फिर पहाड़ी मंदिरमें विराजमान करदी है। यह प्रतिमा स्खंडित है परन्तु अतिशयवान् पूरी है । यहां हनारों यात्री आते और मेला भरता है। यहांसे दर्शन करके लौट. कर वापिस नीमच छावणी पाना चाहिये। फिर यात्रियोंको प्रतापगढ़, शांतिनाथ, देवगढ़ की यात्रा करने और शहर देखने की इच्छा हो तो मन्दसौर, झावरा, रतलाम उतरना चाहिये। अगर इच्छा न हो तो सीधा फतिहावाद (चंद्रावतीगंज) उतरना चाहिये । प्रकरणवश उपरके शहरोंका कुछ दिग्दर्शन कराये देता है।
(६) मावरा। ___ यहांपर नवाब ( मुसलमान ) का राज्य है। स्टेशनसे २ मील ग्राम व शहर है। ४० घर दि. जैनके हैं, १ प्राचीन मंदिर और प्रतिमाएं. मतिशय तेजवान हैं।
(७) मन्दसौर । स्टेशन उपर डाकखाना है। सेठ मनीराम गोवर्धनदासनी जैन दि० भनवालकी धर्मशाला पासमें है, वहीपर ठहरना चाहिये।