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१९४] जैन तीर्थयात्रादर्शक । योंकी कीमतका महादेवका अपूर्व मंदिर है। यहींपर प्राचीन अनेक मंदिर, छत्री, मसनिद, हिन्दु, मुसलमान, बौद्ध, जैन, शिवमतवालों के बड़े२ कीमती खंडहर हैं। एक मील दूर डंडाकार पहाड़, २ मील का लंबा, १ मीलका ऊंचा उत्तर, दक्षिण दिशामें है । पहाड़में लाखों रुपयों की रचना बनी है । उसको देखकर आश्चर्य होता है। ___ इस पहाड़में खुदी हुई छोटी-बड़ी कुल ५४ गुफा हैं । उनमें कितनी गुफा तो २-३ मंनलकी बनी हैं । ये गुफायें बौद्ध, शिव व जैन मतवालोंकी हैं । सभी मतवाले इनकी यात्राको आने हैं। पर हमारे भाग्यहीन जैनी तो कोई ही माता-जाता होगा। प्राचीन तीर्थो के उद्धार व धार्मिक भावोंकी जैनियोंमें बिलकुल कमी है। इन तीर्थों का जीर्णोद्धार भी नहीं कराते हैं। इन गुफाओंमेसे ९ गुफाओं के नाम गणेश गुफा हैं । यह बड़ी भारी गुफा ३ मंजिल लकी बनी हुई हैं । हजारों गणेशनीकी मूर्तियां भीतर वा बाहर मंगलमें हैं। बड़े२ पानीके कुंड व नदी वहती है । इस जगहपर
औरंगाबाद आदिके आसपासके धोबी कपड़ा धोने आते हैं । सब गुफाओं में ये ही गुफा कीमती हैं । ये इतनी लंबी चौड़ी है कि २० हजार आदमी बैठ सकते हैं। तीमरी कैलाशपुरी-इममें ह नारों मूर्तियां शिवकी हैं । ४ नाशशय्या, ३३ करोड़ देवी देवताकी मूर्ति हैं । पांचवी विष्णुपुरी ( कृ-गलीला ) का मंदिर आध मील ऊपर तक है। चारों तरफ विगु भावान की लीलाका ही ठाठ है। यह गुफा अब भी बड़ी रंगदार है । यहांपर ब्राह्मग, साधु भादि रहते हैं। बौद्ध गुफा यह २ मंनिलकी है | इममें बड़ीर पद्मासन खड्गामन मूर्तियां बहुत हैं । एक गुफा मुपलमानों की है।