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१९२] जैन तीर्थयात्रादर्शक । फिर २ गुफा हैं। उनमें बहुत प्रतिमा हैं। ये गुफाए सुध-बुधके नामसे प्रसिद्ध हैं। मधु-कैटव यहांसे मोक्ष पधारे । यहांका दर्शनपूजन करके धर्मशालामें लौट आवे । इम पहाड़से राम, हनु, सुग्रीव, नील-महानील आदि ९९ करोड मुनि मोक्ष पधारे हैं। और कृष्णके भाई बलभद्रने बनचर्याका नियम लेकर घोर तपश्चरण किया जो मरकर पंचम स्वर्ग गये। कथा पद्मपुराण, हरिवंशपुगणमें देखो। कुछ रहकर जितनी यात्रा करनी हो करके फिर मनमाड़ आजावे । यहांसे जानेके ३ राम्ते हैं। १-किसी भाईको नाशिक होकर जाना हो तो गजपंथा, अननगिरिकी यात्रा करके नाशिक स्टेशनसे रेलमें बैठकर मनमाड़ उतर पड़े। २-यहांसे १ राम्ता धुलिया तरफ जाता है ५० मील पडता है। बीचमें पीपरनार, साकरी, कुसुंबा गांव पड़ता है।
(३२५ ) पीपरनार गांव । यह ग्राम ठीक है । १ मदिर व कुछ घर जैनियोंके हैं । मांगीतुंगीसे यह ग्राम १४ मील है । यहांसे ८ मील साकरी गांव पड़ता है । यहांसे चींचपाड़ा स्टेशन भी जाते हैं।
(३२६ ) साकरी गांव । ग्राम अच्छा है। १ मंदिर व कुछ घर जैनियोंके हैं। यहां वांगामें ११ मील चींचपाड़ा स्टेशन पड़ता है।
चींचपाड़ा-यहांसे १ रेलवे बारडोली-महुमाकी यात्रा करके नौटकर बारडोली आकर सुरत जाकर मिलती है। दूसरी लाईन मलगांव, भुसावल, अमलनेर, जाकर मिलती है। इसका हाल अमर लिखा है। सारीसे १२ मील कुसुंबागांव पड़ता है।