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________________ AAAAAAns जैन तीर्थयात्रादर्षक। [१७९ ( २९८ ) बदामीकी गुफाएँ। स्टेशनपर धर्मशाला छोटीमो है, यहांसे २ मील दूर ग्राम है, ग्राम प्राचीन एवं अच्छा है । १ प्राचीन तालाव और पहाड़ ननदीक है। उसमें तीन म्यानमें बहुत गुफा है, जिसमें एक गुफामें महादेव नीका लिंग है, एकमें कुछ नहीं है। ऊपरकी गुफामें छोटी बड़ी बहुत दि० प्रतिमा हैं, सब पहाड़ीपर उकेरी हैं। बहुत प्राचीन और कीमती रचना है। नीचे के तालाबके आसपास बहुत प्राचीन खण्डित मन्दिर हैं । नैनियों के घर नहीं हैं । यहांका दर्शन काके स्टेशन लौट आवे। टिकटका १॥) देकर बीनापुरका लेलेना चाहिये। (२९०) वीजापुर । म्टेशनर्स २ मील जन वानी पुल कर दि० जैन धर्मशालामें तांगा =) सवागमें करके जाना चाहिये । यह शहर बादशाह के समयका है, कोटमे घिरा हुआ अच्छा है । यहां जैन मन्दिर व बहुन घर नैनियों के हैं । यहांसे २ मील दूर एक मन्दिर है, भौहरा भी है, प्राचीन प्रतिमा व शेषफणा पार्श्वनाथनी विराजमान हैं। यह मन्दिर कीमती है व प्रतिमा जमीनसे निकली हुई है। यहांपर बादशाहकी बड़ो भारी ममनिद कवरस्थान गढ़ देग्वनेयोग्य है। बीनापुरसे यहांतक पक्की सड़क है, मैकड़ों लोग माने जाते हैं । राम्ने में बादशाही वेल देखने जाना चाहिये लौटकर बीनापुर आवे । बादशाही चीने देखने योग्य हैं, मगर देखना हो तो कुछ मुलाय ना कर लेवे। फिर यहांसे मोटर, तांगासे -) सवारी देकर बावननगर जाना चाहिये । १४ मोल दूर है,
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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