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१७८] जैन तीर्थयात्रादर्शक । ऊपर १ गुफा व २ मंदिर हैं। बहुत प्राचीन झरीबरी पार्श्वनाथकी २ प्रतिमा मुख्य हैं। और प्रतिमा बहुत हैं। पहाड़पर निरंतर प्रतिमाके ऊपर काल पानी टपकना रहता है ! यात्रा करके स्टेशन लौट आवे । टिकटका २) देकर पुना चला जावे ।
नोट-पूनासे मीरज पानेवाले भाई पहिले हातकलंगड़ासे कुंभो'नकी यात्रा करके कोल्हापुर और मोटरसे नीपानी जावे, फिर स्तवनिधिकी यात्रा करके बेलगांव जाकर मिले । आगेकी यात्राका हाल ऊपर देख लेना चाहिये । २-उघरसे यात्रा करनेवाले भाई मीरन भाकर मिलें । मोरजसे ३) देकर पना चले जावें। ३-पूनासे फिर शोलापुर होकर कुर्दुवाड़ीसे पंढरपुर जावे | वहांसे लौटकर फिर कुर्दुवाड़ी आवे । फिर बारसी टाऊन, कुंथलगिरि मादिकी यात्रा करता हुआ लौटकर कुटुंबाड़ी आवे । फिर धोंड़ आकर ठहर जावे, यहांसे १ रेल मनमाड़ जाती है, १ बारामती जाती है, सो पहिले बारामतीकी यात्रा करके फिर दहीगांवकी यात्रा करें । फिर बारामती धौंड़ आनावे । ४-पूनासे हरएक यात्री हर तरफ जासकते हैं । बम्बई आदि भी जासकते हैं, इसका परिचय आगे देखो ! ५-कुर्दुवाड़ीसे रायचूर, मद्रास, होटगी, गदग, हुबली आदि हरएक तरफ नासक्ते हैं। शांतिसे यात्रा करके पुण्य-बन्ध करना चाहिये। अब आगे दुसरी लाइनका परिचय लिखता हूं, सो दोनों लाइनोंके समाचारको देखकर और मन स्थिर करके जाना चाहिये । अब गदक तरफकी यात्राको जाना चाहिये । हुबलीसे टिकट १॥) देकर, बदामीका लेलेना चाहिये। बीचमें गदक जंकशन गाड़ी बदडकर बदामी उतर पड़े।