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________________ जैन तीर्थयात्रादर्शक। [१६१ (२७२) हासन । म्टेशनसे २ मोल शहर है। १ दि जैन धर्मशाला, २ मंदिर हैं। प्रतिमा प्राचीन एवं रमणीक हैं। दि नियोंके घर बहुत हैं। (२७४) आरमीकेगे। म्टेशनके पाम १ वैष्णव धर्मशाला है । १ मील दूर एक सहस्रकूट चैत्यालय, १ मंदिर और बहुन प्रतिमा हैं। मंदिरोंका नाम “जैन वस्ती " है । जैन वम्नी बोलनेमे पता जल्दी लगता है । मंदिर कहनेपर कोई नहीं ममझता है। वहांमे ? रेलवे लाईन वीकर कशन होकर मीमोगा जाती है । जंकशनपर गादी बदले । वहांमे मोटग्में तीर्थली नावे । तीर्थलीसे हुमच पावतो जाते हैं। लौटकर फिर वहीं आवे । फिर वहांमे रामेश्वर, वगंटा, कारकल, गुलबद्री आवे । मृलबद्रीकी यात्रा करके वेणु' मोटरमें नावे । लोटकर मृलबद्री आकर मंगन्दर, परोडा, त्रिचनापल्ली, मदुग, गमेश्वा होता हुआ काटपाडीकी तरफ यात्रा करके मद्राम जाकर मिले । इसका हाल उ.पर देखो । (1) आरमोके गमे । गाड़ी गन्दा नाकर मिलती है। बीचमें टीपटर, नीटा, टोमकुर, हीराहली पड़ना है। किमीकी मनुशी हो तो उतर पड़े नहीं तो चेंगलोर नाचे । इमका हाल मूलबद्रीसे लौटकर लिग्वा नायगा, (२) आग्मीकंगसे वीरूर, मीरन, कोलापुर, सांगली, हबली, जलगांव होकर पूना तक रेल जाती है। मोमोगामे बैलगाड़ीमें हमच पद्मावती नाना होता है, वहांसे ७ लाइन जाती हैं। मापसी फूट विसंवाद यहांपर नहीं है, षोडश संस्कारविधि
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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