________________
जैन तीर्थयात्रादर्शक ।
[ १५१
बड़े २ विद्वान आचार्योंने ब्राह्मण कुलमें जन्म लिया था । पडिले यहांका राजा जैन न्याय प्रिय था । यह पूरा शहर बड़ा भारी है, अब खण्ड २ होगया है । मिथ्या धर्मकी मान्यता होगई । समन्तभद्राचार्यने यहां पर कई वर्षों तक शास्त्रार्थ करके अन्य मतियोंको पराजित किया था । काळ दोषसे अन्य लोगों की मान्यता है । यहां पर सिर्फ जैन ब्राह्मणों के ८ घर गये है । यहांसे लौटकर आरकोम लौटकर आना चाहिये, फिर टिकट काटपाडीका लेवे । | = ) लगाता है ।
विशेष - पहिलेकी पुस्तक में पोनर, आरपाकम, मनारगुण्डी, सीताम्बुरकी यात्रा लिखी गई है। मैं उस विषय में विशेष नहीं जानता हूं | इसलिये यात्रियोंके व्यर्थ तललीफके लिये नहीं लिम्बा है । अगर जाना हो तो नीचे देखो! कांजीवरम से 1) टिकिट देकर दूसरी स्टेशन विन्दुकम उतर पड़े । विलुकम शहर अच्छा है. १ वैष्णव धर्मशाला है । यहामे बैलगाडी ६ मील आरापाकम गांव जावे | ग्राम अच्छा है, ' धर्मशाला, १ दिगम्बर जैन मंदिर है। भट्टारकनीकी गद्दी भी है, वैष्णव लोगोके यहां पर बहुत कीमती २ मन्दिर हैं । हजारों मूर्तियां हैं, दर्शनोंको हजारों लोग आते हैं। फिर यहां बेलगाड़ी में १८ मील पोनर ग्राम पडता है । यह ग्राम भी अच्छा है। जैनियोंकी वस्ती अच्छी है, १ मन्दिर और प्राचीन प्रतिमा है । यहांसे 5 मील दूरीपर एक पहाड़ है। बैलगाड़ीमें जाना होता है। पहाड़पर जानेको सडक है। पहाड़पर एक वृक्षके नीचे चबूतरापर १ ॥ हाथ लम्बी चरणपादुका है । कुन्दकुन्द स्वामीने महांपर बहुत कालतक तपस्या की थी । यह क्षेत्र इस प्रांत
1
V