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जैन तीर्थयात्रादर्शक |
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पास में बड़ी भारी नदी है । आसपास कटक है। हजारों प्रतिमा ग्रामों व शहरोंमें हैं । इस देशमें हजारों जैनियोंके मंदिर थे । यहांसे स्टेशन लौट आवे । टिकट ) देकर भुवनेश्वरका लेवे । ( २४६ ) भुवनेश्वर |
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स्टेशनपर १ धर्मशाला, १ मुमाफिरखाना, कुछ दुकानें हैं उनमें २ दि० जैन इलवाई की दुकानें हैं। शहर में जानेको 1) सवारी में बैलगाड़ी मिलती है । जानेवाले चले जावें । नहीं तो सीधा उदयगिरि, खंडगिरि चला जावे। यहांपर महादेवके बहुत मंदिर हैं। स्टेशन से गांवकी तरफ जाते समय जंगलमें बहुत प्राचीन महादेवका मंदिर है । लोकमें यह प्रसिद्धि है कि ये मंदिर राजा शिवकोटिने बनवाये थे । पहिले यहांपर १ लाख मंदिर शिवजीके थे । राजा शिवकोटि" स्वामी समन्तभद्राचार्य " का शिष्य होकर एक तेलीको एक खळीके टुकड़ेमें देकर, आप जैनी होगया । शिवकोटिने सुनिधर्मका प्रदेत्तक " भगवती आराधना " बनाया था। अब भी आसपास हजारों मंदिर हैं। गांव में १ तालाव है । यहांकी रचना देखने योग्य है । इच्छा हो तो देख लेवे ।
( २४७ ) श्री खंडगिरि-उदयगिरि (सिद्धक्षेत्र) जसरथ राजाके सुन कहे, देस कलंग पांचसौ लहै ।
यही कलिंग देश पांचमौ मुनियोंके मोक्षका स्थान है । अनेक मुनि, तपस्वी, त्यागियोंके ध्यानका महा पवित्र स्थान है । नीचे एक बंगला, धर्मशाला, कारखाना, कुवा, जंगल इत्यादि है । दोनों तरफ छोटासा उदयगिरि- खंडगिरि नामका पहाड़ है । दोनों पहाड़ोंमें मुनियोंके ध्यान करनेकी बड़ी २ गुफा हैं । बहुत