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________________ जैन नीर्थयात्रादर्शक । पर जमादारहाट जाती है । यहांपर १ मंदिर और २० घर जैन मारवाडियोंके हैं । इसके आसपास भी बहुत जैन मारवाड़ी हैं । धोवडीमें कुछ नैन नौकर भी हैं। मंदिर नहीं है । धोवड़ीसे गोलगंज लौट आवे । फिर आगे नरवाड़ी पड़ती है। (२२६) नरवाड़ी। यहांपर १ मंदिर और १५ घर दि० अनियोंके हैं । यहांसे ८ मील दूर चीनीका कारग्वाना है। आमपाममें बहुत घर दि. मारवाड़ीके हैं। आगे गोहाटीगंन स्टेशन पड़ता है । बीचमें ब्रह्मपुत्र नदी पड़ती है। नावमें घटकर उस पार हो जाने पर दुसरी रेल मिलनी है। उममें घटकर गोहाटी नाना चाहिये । ( ७) गोहाटी शहर । जंगलको - अंग्रेनने यह गहरवमाया है। शहर अच्छा है। १ चैत्यालय व : घर दि. जैनियों के हैं । यहांमे १ मील दूर नीलांजना नमक प है। पहाड़के नीचे स्टेशन है । मो गोहोटी जाने ममय बीच में पता है । गोहाटीके आगेके हिम्मेको कामरू देश बोलने हैं । कुछ हिम्मेको आमाम कहते हैं। उपमे आगेके हिन्मेको ब्रह्मदेश कहते हैं। (२२८ ) नीलांजना पहाइ-(कामरूदेश कमंग्या देवी) यहांपर एक छोटापा ग्राम है । उममें दुष्ट ब्राह्मण लोग मांसभक्षण करने हैं। १२ धूनी गोरग्वनाथ आदि मिडोंकी बोल कर लगाते हैं। यहांपर एक तालाव, अनेक मंदिर, कमख्या देवीके हैं। जिसमें कटा हुआ गिर चढ़ाने हैं। एक देवी जमीन के नीचे गढ़ी है। वहांपर तलवार, छुरी आदि लगा रखी हैं। पंडा लोग हर
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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