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________________ जैन तीर्थयात्रादर्शक। कत्तेके ललवे स्टेशनसे टिकट ३॥) देकर वोघराका लेलेना चाहिये । बीचमें संतार गाड़ी बदलकर एक गाड़ी पार्वतीपुर जाकर कटीहार जाती है । एक गाड़ी बोघरा जाकर कौनिया जाकर मिलती है । (२२४ ) बोगरा। यह ग्राम अच्छा है । १ मंदिर और २० घर दि. नैनियोंके हैं । यह गाड़ी कौनिया जाकर मिलती है । (२२५) कौनिया जंक० । एक गाड़ी संतार और बोगरा होकर यहां मिलती है। पार्वतीपुर में एक गाड़ी परतावगंज जाकर मिलती है । एक नरकटियागंज जाकर मिलती है । एक लाईन दरभंगा जाकर मिलती है। दरभंगा शहर बड़ा है । देखने योग्य शहर है । दरभंगासे एक रेलवे नयमगर जाकर मिलती है । जयनगरके पास बहुत मारवाडी जैनोंके मकान हैं । जयनगर भी अच्छा शहर है । १ मंदिर और कुछ घर जैनियोंके हैं। पार्वतीपुरसे १ रेलवे मनीहारबाट जाकर मिलती है। बीचमें वारसोही पड़ता है। वारसोहीके आसपास बहुत दि. नैन मारवाड़ियोंके घर हैं । यहांपर वारसोईघाट, वारसोईहाट ऐसे दो मुकाम हैं। दोनों जगहपर २ मंदिर और २६ घर दि. नैनियोंके हैं। पार्वतीपुरसे गोहाटी गाड़ी जाती है । बीचमें कौनी जंकशन जाकर मिलती है । कौनी और गोहाटीके बीचका उल्लेख करता हूं। बीचमें लालमनीहार पड़ता है। यहां भी १ मंदिर और कुछ घर दि. जैनियोंके हैं । यहांके आसपास दि. जैन मारवाडियोके बहुत घर हैं । आगे गोलगंज जंकशन पड़ता है । वहांसे एक रेलवे घोवड़ी जाती है । धोवड़ीसे नदी पार होकर ४ मील
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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