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जैन तीर्थयात्रादर्शक।
(२२०) गिरीड़ी स्टेशन । स्टेशनसे थोड़ी दूर शहर है। शहर अच्छा है । १० दि. नैनियोंके घर हैं । वीसपंथी, तेरापन्थी, श्वेताम्बरी इन्हीं तीनोंकी ३ धर्मशाला व ३ मंदिर अलगर हैं। यहांसे मधुवन १८ मील पड़ता है । रास्ता पक्का है । तांगा, मोटर, बैलगाड़ी आदि सभी सवारी मिलती हैं । बीचमें ग्राम, भोडलकी खानि कोयले का बड़ा भारी कारखाना देखता हुआ चला जाये । बीचमें वड़ागर नदी पड़ती है। नदीपर एक श्वेताम्बर मंदिर व धर्मशाला हैं । अगर यहांपर किसीको ठहरना होय तो ठहर जावे ।।
(२२१) मधुवन (श्री सम्मेदशिखरजी) की कोठियां। ___ यहांपर तीन कोठियां, बड़ी२ धर्मशाला, कुआ, बाजार, बगीचा तथा अनेक मंदिर जिनमें हजारों प्रतिमाएं विराजमान हैं। यहांपर आनेजानेके मुख्य दो ही रास्ता है। १ ईमरी स्टेशनसे, दूसरा गिरीडी स्टेशनसे, इनका हाल ऊपर लिख दिया है । दिनोंकी चीसपंथी व तेरापंथी २ कोटियां व श्वेतांबरीकी एक कोठी है । इन तीनोंके कार्य जुदेर हैं । मुनीम, पुनान, नौकर-चाकर, तांगा, हाथी, थोड़ा सब जुदा२ काम है । यहांसे पहाड़की चढ़ाई ६ मील जाने पड़ता है । बीचमें ऊपर २|| मोल गंधर्व नाला पड़ता है। यहांपर दि०, श्वे दोनों ही धर्मशाला बनी हैं। आने-जाते समय यहीं मलमूत्रादि करके पहाड़पर जाना आना चाहिये । पहाइपर तो हर्गिन न करना चाहिये । प्रथम रात्रि २ बजे उठकर शौच स्नानादिसे निवृत्त होकर साफ शुद्ध कपड़ा पहनकर, गरीबोंको बांटने के लिये रुपया पैसा, पाई वगैरह लेकर, खानेपीनेको द्रव्य लेकर, गोदीवाला,