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जैन तीर्थयात्रादर्शक। [१२९ ईसरी होकर शिखरजी नावे । टिकट भागलपुरसे नवादाका १॥-), गयाका ३), गिरीडोका २), कलकत्तेका ५) भाडाका लगता है। मागलपुरमे एक रेल मंदार गिरनी जाती है। टिकट II) लगता है। सो पहिले मंदारगिरनी जाना चाहिये । बैलगाडीका किराया ४), बग्गीका किराया १०), लगता है। और मोटरका किराया २) सवारी लगता है । चाहे निममे चला जावे । (२१९. ) स्टेशन मंदारगिा-(सिद्धक्षेत्र मंदारगिरजी)
भागलपुरमे ३० नील द्रा ग्राम है । स्टेशनसे १ मील दूर दि. भन धर्मशाला व चन्यालय है । यहांका भंडार पुजारी अलग है । यहांमे मड़क २ मील तक लगी है । १२वें तीर्थकरका गर्भ, नन्म, तप, ज्ञान कल्याण तो भागलपुर नाथनगर चंपापुरमें हुआ था । मो एक ही बड़ा शहर चम्पापुर था। उसकी सीमामें तीन खंड होगये । मगर मय चंपापुरमें ही गर्भित हैं। पान्तु मोक्ष कल्याणकका स्थान यही मंदारगिरिका पर्वत है। पहाड़ ऊपर १ तालाव, २ मंदिर और चरणपादुका हैं। पहाड़के नीचे १ बड़ा तालाव, जंगल, १ छत्री, कुआ आदि है | पहाइपर एक गुफामें १ नरसिंघकी मूर्ति, गंगा जमना कुंड व १ तालाव हैं । यह सब वैष्णवोंके तीर्थ हैं। वहींपर १ माधु रहता है । हनारों अन्यमतके यात्री यात्राको आने हैं। यहांकी यात्रा करके भागलपुर आवे । फिर २॥) देकर गिरीडीका टिकट लेलेवे । बीचमें लक्खीस. राय, मधुपुर गाड़ी बदलकर गिरीडी उतर पड़े। पहाइपर २ दि. जैन मंदिर हैं । ये दोनों ही प्राचीन मंदिर हैं । एक मंदिरमें चरजमाबुका हैं । और दुसरे मंदिरमें कुछ भी नहीं है।