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________________ १२२ ] जैन तीर्थयात्रादर्शक | कर दिया है | बिहार लौटकर रेलसे आनेसे फिर मोटर, तांगा से नवादा तक जासकते हैं। बीचमें पावापुरी-नवादा पड़ता है। (२१०) सिद्धक्षेत्र गुणावाजी । पावापुर, राजगृही, कुंडलपुर, बिहारके आते-जाते समय बीच में यह तीर्थराज पड़ता है । यहां १ श्वेताम्बर, १ दिगम्बर दोनों धर्मशाला हैं । दोनों मंदिर हैं। दोनों कारखाना हैं। यहांसे श्री गौतम गणधर भगवान मोक्ष पधारे थे । चरणपादुका और प्रतिमा है | यहांसे दर्शन करके नवादा आवे । और नवादा से आनेवाले / यहांकी यात्रा करके पावापुर आदि आगे जायं । (२११) नवादा शहर । यह नवादा किऊल गया के बीच में पड़ता है । यहांसे एक रेल गयानी जाकर मिलती है। एक रेल किऊल- लक्खीसराय होकर भागलपुर नाथनगर होकर लूप लाईनसे बर्द्धमान होती हुई कलकत्ता जाती है । गयाका हाल आगे लिखता हूं । पीछे नाथनगरका | पहिलेसे ही पुस्तकको ध्यान से पढ़कर विचारकर जिबर जाना हो उधर चला जाय । हर जगह पूछना चाहिये । ( २१२ ) गया । चाहे जिघरसे मानेवाले भाई मोगलसराय गाड़ी बदलकर बीचमें चंद्रवती नदीको देखता हुआ रफीगंज होकर गया आना चाहिये । ( २१३ ) रफीगंज । स्टेशन से नजदीक १ कस्बा है । २० घर दि० जैनियोंक हैं। एक मंदिर और प्राचीन प्रतिमा, १ पाठशाला है । यहांसे ययाका किराया ||) लगता है। पटना से भी सीधा गया मासकते
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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