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जैन तीर्थयात्रादर्शक। हैं। टिकट १॥) लगता है। लूप लाईन कलकत्ता, दिल्ली, कालका लाईनसे किउल ( लक्खीसराय ) गाड़ी बदलकर नवादा होकर पटना तककी यात्रा करके पटनासे गया आजावे । या नवादासे गया आजावे । एक रेल आसनशोल बनारस लाईनमें गोमोह, ईसरी, हजारीबाग होती हुई गया आती है। चाहे जिधरसे आने जाते समय गयानी उतर जावे ! गयानी हिन्दुओं का बड़ा भारी तीर्थ है। हजारों लोग यहांपर रातदिन आते-जाते रहते हैं। रेलगाड़ी स्टेशन धर्मशाला में बड़ी भीड़ रहती है । कभी२ इतनी भीड़ रहती है कि गाड़ी चूक नाती है। टिकट नहीं मिलती है । सो कुछ खर्च करके टिकट खरीद लेना चाहिये। स्टेशन पर वैष्णवों की बड़ी भारी धर्मशाला है। नदीके किनारे चौक बाजारमें दि जैन धर्मशाला है। वहींपर २ दि. जैन मंदिर और प्राचीन तथा नवीन बहुत प्रतिमा हैं। अंदाना ६० घर दि जैन, १ पाठशाला, कन्याशाला है। फिर शहरमें १ मोल दूर बहुत बढ़िया १ मंदिर है। यहां भी १ धर्मशाला है। स्टेशनसे दोनों मंदिर, धर्मशाला बराबर पड़ते हैं। शहरमें ही जाकर ठहरना चाहिये । शहरमें हजारों मंदिर वैष्णवोंके हैं। बानार, मूर्ति, फल्गु नदी बहती है । नदीमें पिंड दान करते हैं ! नदीके किनारे घाट, मंदिर इत्यादि चीजें देखना चाहिये। फिर यहांसे मोटर या तांगा करके तीर्थरान कुलुहा पहाइपर जाना चाहिये। गयानीमें सेठ रिषभदास, सेठ केशरीमल लल्ल्टमल सेठी सजन पुरुष हैं।
(२१४ ) अतिशयक्षेत्र कुलुहा पहाड़। गयानीसे ३८ मील दूर कुलुहा पहाड़ है जो इस देशमै प्रसिद्ध