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२१६] जैन तीर्थयात्रादर्शक । वंदनाको जावे । पूर्वोक्त मंदिरोंके सिवाय , पंचायती बहुत बड़ा मंदिर है। उसमें म्फटिक मुङ्गाकी प्रतिमा है । एक उदयराज खगरानका चैत्यालय दालची मण्डीमें है । इसमें भी १ म्फटिकमनिकी बड़ी प्रतिमा है, एक भाटके मुहल्लमें जौहरीका चैत्यालय है. उसमें श्री पाश्वनाथकी हारेकी प्रतिमा है । इसका दर्शन । बजे सुबह ही होता है, जल्दी जाना चाहिये । विश्वनाथका मंदिर सोना चांदीकी गड़ाई का है। इसके सिवाय वैष्णवोंके हजारों मंदिर हैं। गंगाके घाटपरके मकान, भरवनाथ, दुर्गाका मंदिर, औरंगजेबकी ममनिद, राजाओंक टहरने के मकान, अम्मी संगम, अगम्त अमृत
और नाग ये नीन कुण्ड, हिन्दू विश्वविद्यालय, मान मंदिर इत्यादि देखना चाहिये । यहांपर नियोंक २५ घर हैं। भदनी घाटपर तो श्री सुणचाय और भेन्मे पवनाथके गर्भ-जन्म-तप ये तीन करयाण. हुए हैं। यहापर म्ह पुरुषोंने जन्म लिया था ! हिन्दू लो ना इसकी मदः . मानते हैं : यह विद्या का भी केन्द्र है। बड़२ विदा कर नहाने जाते हैं, एक हिन्दू विश्वविद्यालय है। उसमें कई हजार विद्यार्थी पढ़ते हैं। स्यावाद वि०को देखकर उसमें अच्छी सहायता देना चाहिये। यह मम्था विद्वानोंको उत्पन्न करनेवाली है । विद्यादान समान दुसरा दान नहीं है । फिर कुछ खरीदना हो तो खरीद देना चाहिये ! यहॉपर मोने चांदीका हाथका काम । अटो मकान भी कीमती हैं । सा.का प्यार का नहीं होता है, घर ही घरमें होताग वामान हरतरहके वर्तन निलने हैं। यहांकी यात्रा करके 'टे. . अगर किसीको आगे चंद्रपुरी, सिंहपुरी, भटनी,