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________________ जैन तीर्थयात्रादर्शक । [११७ अयोध्या, फेनाबाद, लखनउ, मोगलमराय आदि जाना हो, उघर चला जावे । इनका हाल उपर लिखा है मो देख लेना चाहिये । काशीसे मोगलसराय -) देकर जाना चाहिये । मोगलसराय गाड़ी बदलकर २) टिकटका देकर आग जाना चाहिये । (२०) मोगलमगय । यहांमे १ गाड़ी लग्ननउ, १ पहारनपुर, १ आग पटना होकर कलकत्ता तक जाती है । इलाहाबाद होकर जबलपुर जातो है । रफीगंज गया होकर टिमरनी जाती है। आग पटना वाली गाड़ी मधुपुर बदलकर गिरे दी जाती है। पिर गिम्बर जी जाती है। गया होकर भी मीधी शिग्वरजी जाती है। (२०४) आग। म्टेशनमे १ मील -) मवागमें नांगा शहरमें जाता है । मो बा० इम्प्रसादनी ननकी धर्मशालामें उतर जाना चाहिये । इमो वर्मशालामें , चैत्यालय और शिवानीके पहाड़ की रचना है। १ प्रतिमा म्वर्ण, २ चांदी, १ म्फटिकमणिकी है। फिर किमी मानकार आदमीको माथ लेकर शहरके बदियार मंदिरोंकी वंदना करें। मंदिर और चैत्यालयों की संख्या ३४ है। इनमें रंगर की प्रनिम्न विराजमान हैं। जनपिद्धांनभवन भी है। फिर शहरके बाहर २ मीलको दूरीपर २ नमियां हैं। वहां का दर्शन करे । धनृपुगमै पं० चन्दाबाई द्वारा मवर्डिन जैनबालाविश्राम है । उसको देखना चाहिये व कुछ सहायता भी देनी चाहिये। फिर लौटकर शहरमें आवे । बाबू निर्मलकुमारनी, बा० चक्रेश्वरकुमारजी व व. धरणेन्द्रकुमारनी यहीं रहते हैं । यहांपर जैन अग्रवालोंकी संख्या ८० के अंदाना होगी।
SR No.010324
Book TitleJain Tirth Yatra Darshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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