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जैन तीर्थयात्रादर्शक। [११५ हुई मूर्तियां रखी हैं। सब दर्शन पूजन करना चाहिये । भंडार देना चाहिये । इस स्थानपर श्रेयांमनाथके गर्भ-जन्म-तप तीनों कल्याणक हुए थे। सिंहपुरो है। लौटकर स्टेशन आवे, टिकटका -) देकर कागोका टिकट ले लेवे । और काशो अलईयपुर उतर पड़े। वहांसे तांगा करके बिहारीलाल धर्मशाला मैदागनीमें नावे ।
(२०३) काशी वनारस क्षेत्र । यहांपर तीन स्टेशन हैं । १ गनघाट, बनारस केन्ट, काशी शहर । यहांसे १ रेक भटनी, १ मोगलमराय, १ लखनऊ तक जाती है। काशी शहरकी स्टेशन उतरना चाहिये, और =) सवारीमें तांगा बिहारीलालनी धर्मशाला मैदागनीमें पहचा देता है। यहीं कुआ, नल, टट्टी, मंदिर, बानाका मुभीता है । यहांसे मंदिर-बाजार पाप्त है इमलिये यहीं पर ठहरना चाहिये । स्टेशन भी पाम है, मब बानका आराम है । भेटु युगमें भी धर्मशाला है । यहां भी जंगल कुमआ आदि सबका आगम है । यहांपर दो मंदिर और ( वेदी हैं । प्रतिमा बहुत मनोज्ञ हैं। मं दर सब ही कीमती हैं। यहांपर श्वेनांवर मंदिर व चरमपादुका, छत्री है । एक श्वेतांबरी दिगम्बरी मंदिर सामिल है।
भदैनीघाट पर श्री स्या० महाविद्यालय है । धर्मशालाभ पाठशाला है । इससे ठहरनेमें तकलीफ रहती है। पापमें गंगानी वहनी है, शोभा भी अपार है । भदेनीमें ३ मंदिर हैं। २ पाठशालामें, १ कुछ दूर है । यह स्थान दानी श्री० ब • देवकुमार नीका है। जहांपर इच्छा हो वहांपर टहरना चाहिये । मंदागिनी में बहुत सुभीता रहता है। फिर किसी मादमीको साथ लेकर शहरकी