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जैन तीर्थयात्रादर्शक |
चम्पाबागकी एक ओर बाजारके दो मंदिर बड़े कीमती हैं। यहांसे तांगा करके ग्वालियर जाना चाहिये। किलाके बाहर हजारों प्रतिमा पहाड़ में उकेरी हुई बड़ी विशाल हैं । खंडहर भी हैं । सो किसी I जानकार आदमीको साथ ले जाकर सबका दर्शन करना चाहिये । यह रचना पहाड़ में गढ़के नीचे उकेरी हुई गुफा में है । फिर शहरमें ११ मंदिर और रंगरकी प्रतिमा हैं। उनका भी दर्शन करना योग्य है । फिर राजाका टिकट लेकर गढ़ देखने जावे | यहांपर 1 राजकर्मचारीको कुछ देकर साथ लेलेवे । वह गढ़, तालाब, राजमहल इत्यादि सब अच्छी तरह से बतला देगा | किलेके भीतर बड़ीर विशाल प्रतिमा हैं । उनका वह दर्शन करा देगा | गड़की लंबाई-चौड़ाई बहुत है। हजारों तोपें हैं । एक प्रतिमा यहांपर ३० गज ऊंची खडगासन विराजमान है । यह प्रतिमा शांतिनाथ स्वामीकी है । यह प्रतिमा २२ वर्षमें बनकर तैयार हुई थी । कीमती बहुत है । प्राचीनकालमें यहांका राजा न्यायपरायण धर्मात्मा दि० जैन था । उन्होंने यह सब रचना कराई थी । लेखनीके बाहर उसकी रचना है । अब भी ग्वालियरका राज्य बड़ा है । नव करोड़ की वार्षिक आय है । इन्होंके राज्यमें रेल, तार- पोष्ट ऑफिस, अस्पताल, गुरुकुल, पाठशाला, हिनरी हक्क सब राजा सा०का है। यहांसे सब दर्शन करके स्टेशन आनावे | फिर टिकट |) का देकर ग्वालियर सीप्री लाईन ( छोटी गाड़ी ) से पन्नीयार जाना चाहिये ।
( १५८ ) पन्नीयार ।
स्टेशन से १ मील दूर यह गांव है। यहांपर १ छोटा किल्म